तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में 127 लोगों को क्षेत्रीय आधार कार्यालय की ओर से नोटिस जारी होने के बाद हड़कंप मच गया। इन सभी को गुरुवार को कार्यालय पहुंचकर जरूरी दस्तावेज दिखाने को कहा गया था।
पत्रिका पर छपी खबर के अनुसार, इन पर गतल तरीके से आधार नंबर हासिल करने का आरोप है।
यूनीक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया (यूआईडीएआई) को स्थानीय पुलिस की ओर से रिपोर्ट भेजी गई थी। जिसमें कहा गया कि प्राथमिक जांच में सामने आया कि अवैध प्रवासियों ने गलत तरीके से आधार नंबर प्राप्त किए हैं, जबकि वह इसके लिए पात्र नहीं थे।
हालंकि आधार कार्यालय ने ट्वीट कर यह जानकारी दी कि इस सुनवाई को मई माह तक टाल दिया गया है। पुलिस की ओर से बताया गया कि उक्त लोगों को उन सभी दस्तावेज इकट्ठा करने में समय लगेगा जिनके आधार पर उन्होंने आधार के लिए आवेदन किया था।
नाम न बताने की शर्त पर एक पीड़ित व्यक्ति ने बताया कि वह अपने सारे पेपर जुटाने में लगा हुआ है।
इधर लोगों ने सरकार की ओर से राज्य में पिछले दरवाजे से एनपीआर लागू करने की आशंका व्यक्त की है। सामजिक कार्यकर्ता खालिद हसन ने बताया कि आधार कार्यालय की आड़ में तेलंगाना सरकार एनपीआर का ही काम करने की साजिश रच रही है। पुलिस तथा आधार कार्यालय को इस्तेमाल किया जा रहा है।
दूसरी तरफ, आधार प्राधिकरण की ओर से यह भी कहा गया कि आधार कार्ड नागरिकता का दस्तावेज नहीं है। कोई भी व्यक्ति आधार के लिए आवेदन देने से पहले भारत में 182 दिन तक रहा हो तो वह आवेदन दे सकता है लेकिन सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय के आधार पर प्राधिकरण का यह कहना है कि किसी अवैध प्रवासी व्यक्ति को आधार नंबर जारी न हो इसलिए उसकी निवास की अवधि को जांचने का अधिकार उसे प्राप्त है।
अगर उसमें कोई भी गड़बड़ी पाई जाती है तो उस आधार नंबर को रद्द करने या निलंबित करने का प्रावधान आधार क़ानून में है।