पाकिस्तान में संवैधानिक रूप से गैरमुस्लिम घोषित किए जा चुके कादियानी समुदाय के मानवाधिकारों का मुद्दा संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) में उठेगा और इस पर बहस होगी। इसे लेकर पाकिस्तान के उलेमा में नाराजगी और बेचैनी पाई जा रही है।
पाकिस्तानी उलमाओं ने सरकार से मांग की है कि वह ‘पाकिस्तान को बदनाम करने के कादियानी एजेंडे’ के खिलाफ कदम उठाए। इस तरह देखा जाए तो UNHRC में कश्मीर को लेकर भारत पर दबाव बनाने की कोशिश करने वाला खुद अपने ही खेल में फंस गया है।
Qadianis case on UNHRC agenda. Pakistan & nation will fight all the way for ours religion, motherland, believes till last blood, last bullet & last citizen.@OryaMaqboolJan@HamidMirPAK@AnsarAAbbasi@ZaidZamanHamid@Haqeeqat_TV@miu786@muftitaqiusmani
— نصرمن الله وفتح قریب (@mohdsaani) October 13, 2019
पाकिस्तानी मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान में अलग-अलग मत व संप्रदाय से संबंद्ध उलेमा के एक प्रतिनिधिमंडल ने देश के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी से मिलकर इस मुद्दे को उठाया। प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व मौलाना मुहम्मद हनीफ जालंधरी ने किया।
कादियानी खुद को मुस्लिम मानते हैं लेकिन इस्लाम से जुड़े कुछ बुनियादी मुद्दों पर मतभेद के बाद पाकिस्तान में इन्हें 1974 में गैरमुस्लिम घोषित कर दिया गया था। इसके बाद से ही पाकिस्तान में इनके मानवाधिकारों के हनन के मुद्दे सुर्खियां बनते रहे हैं।