संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने म्यामांर में सेना द्वारा आपातकाल की घोषणा किए जाने पर बृहस्पतिवार को गंभीर चिंता व्यक्त की और हिरासत में ली गई आंग सान सू ची तथा अन्य नेताओं को तत्काल रिहा करने की अपील की।
अमर उजाला पर छपी खबर के अनुसार, सुरक्षा परिषद ने इस घटनाक्रम पर अपने पहले बयान में कहा कि सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने एक फरवरी को सेना द्वारा म्यांमार में आपातकाल की घोषणा और स्टेट काउंसलर आंग सान सू की।
राष्ट्रपति विन मिंट और अन्य सहित सरकार के सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई पर गहरी चिंता व्यक्त की है। परिषद ने हिरासत में लिए गए सभी लोगों की तत्काल रिहाई की भी अपील की।
म्यांमार में सेना द्वारा किए गए तख्तापलट को लोकतंत्र की ओर बढ़ते कदम पर सीधा हमला करार देते हुए अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने सोमवार को इस देश पर नए प्रतिबंध लगाने की चेतावनी दी।
स्टेट काउंसलर आंग सान सू ची समेत देश के शीर्ष नेताओं को सोमवार को हिरासत लेने के कदम की अमेरिका ने आलोचना की।उन्होंने कहा, लोकतंत्र में सेना को जनता की इच्छा को दरकिनार नहीं करना चाहिए।
लगभग एक दशक से बर्मा के लोग चुनाव कराने, लोकतांत्रिक सरकार स्थापित करने और शांतिपूर्ण सत्ता हस्तांतरण को लेकर लगातार काम कर रहे हैं।
इस प्रगति का सम्मान किया जाना चाहिए। अमेरिकी राष्ट्रपति ने वैश्विक समुदाय का भी आह्वान किया कि वह एक स्वर में म्यांमार की सेना पर दबाव डाले।
म्यांमार में सेना के तख्तापलट के खिलाफ देश की जनता सड़कों पर उतर आई है। इन विरोध प्रदर्शनों में जनता के साथ अब मेडिकल स्टाफ भी शामिल हो गया है।
देश के 30 शहरों के 70 अस्पतालों में चिकित्सा कर्मचारियों ने बुधवार को काम करना बंद कर दिया है।
देश के सबसे बड़े शहर यंगून में बड़ी संख्या में लोगों ने कारों के हॉर्न और बर्तन बजाकर सैन्य तख्तापलट का विरोध किया।