अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने एक बार फिर ईरान पर हमला करने की धमकी दी है।
US President Trump: We will strike Iran if we have to and we are ready for war if there is a need https://t.co/Tf5Sys0BXr
— AVSEC Pro (@avsec_pro) October 21, 2019
पोलिटिको की रिपोर्ट के मुताबिक़, ट्रम्प ने व्हाईट हाउस में पत्रकारों से बात करते हुए क, फ़ार्स खाड़ी में ईरान ने अगर उकसाने वाली गतिविधियां जारी रखीं तो हम ईरान पर हमला कर देंगे।
President Trump: "I'm trying to get out of wars. We may have to get into wars, too … if Iran does something, they'll be hit like they've never been hit before" https://t.co/dtlopyyR4I pic.twitter.com/dQcjGnLMDM
— World News Tonight (@ABCWorldNews) October 21, 2019
पत्रकारों ने ट्रम्प को याद दिलाया
पार्स टुडे डॉट कॉम के अनुसार, ट्रम्प ने जब यह धमकी दी तो पत्रकारों ने उन्हें उनका वह बयान याद दिलाया, जिसमें हाल ही में उन्होंने किसी भी नए युद्ध की संभावना को ख़ारिज करते हुए कहा था कि मध्यपूर्व की लड़ाईयों में पड़कर अमरीका ने ऐतिहासिक ग़लती की है और वे अपने सैनिकों को कभी नहीं ख़त्म होने वाले युद्धों से निकाल लेंगे।
DM Downplays Trump's Threat of War against Iran as "Bluff"https://t.co/GYDjehbuE5 pic.twitter.com/l97GnAq7S8
— Fars News Agency (@EnglishFars) October 23, 2019
इससे पहले कई बार दे चुके हैं धमकी
यह पहली बार नहीं है कि अमरीका ने ईरान पर हमले की धमकी दी है, लेकिन यह सच्चाई भी किसी से छिपी नहीं है कि अमरीका में ईरान पर हमला करने का दम नहीं है, अगर ऐसा संभव होता तो वह बहुत पहले अपनी इस दिली ख़्वाहिश को पूरा कर चुका होता।
अमेरिकी ड्रोन मार गिराने के बाद बढ़ा तनाव
जून में जब ईरान ने अमरीका के आधुनिकतम ड्रोन विमान ग्लोबल हॉक को मार गिराया था तो तब भी अमरीकी राष्ट्रपति ने ईरान पर हमला करने की धमकी दी थी, लेकिन इसका साहस नहीं कर पाए और अपनी धमकी वापस ले ली।
ट्रम्प की होती रही है आलोचना
वैसे भी ट्रम्प विरोधाभासी बयानों के लिए जाने जाते हैं। अक्तूबर के शुरू में अचानक सीरिया से अपने सैनिकों को निकालने का एलान करके उन्होंने सभी को चौंका दिया था, जिसे लेकर अमरीका में उनकी ख़ूब आलोचना हुई थी।
क्या मीडिल इस्ट में अमेरिका कमजोर होता जा रहा है?
इसमें कोई शक नहीं है कि अमरीका, एक के बाद एक मध्यपूर्व में युद्धों फंसकर कमज़ोर हो गया है और अब महाशक्ति के रूप में उसका दायरा सिमट रहा है। दूसरी ओर रूस, चीन और ईरान जैसे देशों का प्रभाव बढ़ रहा है, जिसे रोक पाने में अमरीका और उसके सहयोगी असमर्थ हैं।