अधिकारीक तौर पर विश्व स्वास्थ्य संगठन से बाहर हुआ अमेरिका!

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डब्ल्यूएचओ को सालाना 45 करोड़ डॉलर की वित्तीय सहायता रोकने की धमकी देने के बाद अमेरिका ने संगठन से अलग होने का ऐलान कर दिया है।

 

डी डब्ल्यू हिन्दी पर छपी खबर के अनुसार, ट्रंप प्रशासन ने इसको लेकर संयुक्त राष्ट्र महासचिव को नोटिस भेजा है।

 

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने मंगलवार को आधिकारिक तौर पर संयुक्त राष्ट्र को विश्व स्वास्थ्य संगठन से अलग होने की प्रक्रिया का नोटिस जारी कर दिया. यूएन के इस संगठन को सबसे अधिक सालाना आर्थिक मदद अमेरिका देता आया है।

 

कोरोना वायरस को लेकर ट्रंप कई बार डब्ल्यूएचओ की भूमिका पर सवाल उठा चुके हैं और चीन की तरफ झुकाव का आरोप तक लगा चुके हैं।

 

हालांकि अमेरिका का डब्ल्यूएचओ से हटना अगले साल तक प्रभाव में नहीं आएगा। इसका मतलब है कि नए प्रशासन द्वारा इसे रद्द किया जा सकता है या फिर परिस्थितियां बदल सकती हैं।

 

पूर्व उप राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा है कि अगर वे चुनाव में जीत जाते हैं तो अपने कार्यकाल के पहले दिन ही इस फैसले को पलट देंगे।

 

ट्रंप ने मई में डब्ल्यूएचओ से अमेरिका के अलग होने की घोषणा कर दी थी।

 

वो पहले ही कठोरता के साथ डब्ल्यूएचओ को “चीन की कठपुतली” बताते हुए उसकी भूमिका पर सवाल उठा चुके हैं. ट्रंप प्रशासन के इस कदम की आलोचना भी शुरू हो गई है।

 

स्वास्थ्य अधिकारियों और आलोचकों का कहना है कि विश्व स्तर पर अमेरिकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचेगा।

 

बाइडेन ने कहा है कि नवंबर में चुनाव में अगर उन्हें जीत हासिल होती है तो वो दोबारा डब्ल्यूएचओ में शामिल हो जाएंगे। उन्होंने कहा, अमेरिकी तब सुरक्षित होते हैं जब अमेरिका वैश्विक स्वास्थ्य को मजबूत करने में लगा रहता है।

 

राष्ट्रपति के रूप में अपने पहले दिन, मैं डब्ल्यूएचओ में देश को फिर से शामिल करूंगा और विश्व मंच पर हमारे नेतृत्व को बहाल करूंगा।