भारत के कोवैक्सीन और स्पुतनिक वी लेने वाले अमेरिकी छात्रों से फिर टीका लगाने के लिए कहा!

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मार्च महीने के बाद से अमेरिका के 400 से अधिक कॉलेज और विश्वविद्यालयों ने पढ़ाई शुरू होने से पहले सभी छात्रों के लिए कोरोना वायरस वैक्सीन की शर्त रख दी है।

लेकिन अब वो छात्र मुश्किल में पड़ गए हैं, जिन्होंने भारत में विकसित कोवैक्सीन और रूस में विकसित स्पूतनिक-वी वैक्सीन लगवाई है।

इन वैक्सीन को लेने वाले छात्रों से कहा गया है कि वह दोबारा अपना टीकाकरण कराएं क्योंकि इन दोनों वैक्सीन को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मंजूरी नहीं दी है।

समाचार एजेंसी एएनआई ने न्यू यॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के हवाले से कहा है कि भारत की रहने वाली 25 साल की मिलोनी दोषी को कोलंबिया यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल एंड पब्लिक अफेयर्स से मास्टर्स की पढ़ाई शुरू करनी है. इस छात्रा ने कोवैक्सीन की दो डोज ली हैं।

लेकिन कोलंबिया की ओर से छात्रा को कहा गया है कि उसे दूसरी वैक्सीन लगवानी पड़ेगी। अब वह इस बात को लेकर चिंतित है कि क्या दो अलग-अलग वैक्सीन की डोज उसकी सेहत के लिए ठीक रहेंगी।


इसी तरह की शर्त एक नहीं बल्कि कई कॉलेज रख रहे हैं. ऐसा कोई शोध भी सामने नहीं आया है, जिससे ये पता चल सके कि दो अलग-अलग कंपनियों की दो-दो डोज लेने से शरीर पर कैसा प्रभाव पड़ता है।

यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन की प्रवक्ता क्रिस्टन नॉर्डलंड ने कहा कि जिन लोगों ने अमेरिका से बाहर रहकर वो वैक्सीन लगवाई हैं, जिन्हें WHO ने मंजूरी नहीं दी है, उन लोगों को कम से कम 28 दिनों तक इंतजार करना होगा. ताकि वह एफडीए द्वारा मंजूरी प्राप्त वैक्सीन की पहली डोज ले सकें।


अमेरिकी छात्रों की बात करें तो इन्हें फाइजर, मॉडर्ना और जॉन एंड जॉनसन की वैक्सीन दी गई हैं. इन्हें डब्ल्यूएचओ से मंजूरी मिली है। अब विदेशी छात्रों के लिए वैक्सीनेशन को अहम शर्त के तौर पर रखा गया है।

अमेरिकन काउंसिल ऑन एजुकेशन के सीनियर वाइस प्रेजिडेंट टैरी डब्लयू हार्टेल का कहना है, ‘विश्वविद्यालय चाहते हैं कि वहां विदेशी छात्र पढ़ने आएं, क्योंकि उनसे कैंपस में विवधता आती है, पैसा आता है, इसलिए यह सबसे ज्यादा चर्चा का विषय है।

भारत से हर साल करीब 2 लाख छात्र पढ़ने के लिए अमेरिका जाते हैं।

साभार- टीवी 9 हिन्दी डॉट कॉम