VIDEO: जब सरदार पटेल ने ‘हिन्दू राज’ के विचार को कह दिया था ‘पागलपन’!

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हिन्दू राज – सरदार पटेल ने ‘फरवरी, 1949 में हिन्दू राज यानि हिंदू राष्ट्र की चर्चा को एक पागलपन भरा विचार बताया था।

1950 में, उन्होंने अपने श्रोताओं को संबोधित करते हुए कहा, “हमारा राज्य एक धर्म निरपेक्ष राज्य है। यहां हर एक मुस्लिम समाज के ब्यक्ति को यह समझना चाहिए कि वह भारत का नागरिक है। और भारतीय होने के नाते उसका भी देश पर उतना ही अधिकार और फर्ज है, जितना कि किसी अन्य व्यक्ति अथवा धर्म का… यदि हम उसे यह महसूस नहीं करा सकते तो हम अपनी विरासत और अपने देश के लायक नहीं है।”

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सांप्रदायिक और हिंसक विचारधारा को स्पष्ट रूप से देखने और गांधीजी और धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ जिस तरह की नफरत फैल रही थी, उसे देखते हुए, यह स्पष्ट हो गया कि यह गांधी को मारने वाली वास्तविक शक्तियां थीं। आरएसएस के लोगों ने कई जगह जश्न मनाया। इसे देखते हुए सरकार ने तुरंत आरएसएस पर प्रतिबंध लगा दिया।

राष्ट्र के राष्ट्रपिता की मृत्यु के बाद एक संघ द्वारा इस तरह के प्रदर्शन को देखते हुए गृह मंत्री सरदार पटेल ने 4 फरवरी को एक पत्राचार के जरिए स्पष्टीकरण दिया कि “देश में सक्रीय नफरत और हिंसा की शक्तियों को, जो देश की आजादी को खतरे में डालने का काम  कर रही है, जड़ से उखाड़ने के लिए भारत सरकार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े कई व्यक्ति हिंसा, आगजनी, लूटपाट, डकैती, हत्या आदि की घटनाओं में शामिल रहे है। साथ ही वे इस तरह के भड़काऊ पर्चे भी बाटते पकड़े गए है।

संघ के लोग दूसरों को हिंसक बना रहे हैं और नस्लवाद फैला रहे हैं। सरदार पटेल ने कहा कि आरएसएस के भाषण सांप्रदायिक उत्साह से भरे होते हैं। महात्मा गांधी के अमूल्य जीवन की शहादत के रूप में देश को इस खौफ का जहर सहना पड़ा है।

सरदार पटेल आरएसएस के विरोधी नहीं बल्कि उनकी सोच के विरोध थे। आरएसएस की विचारधाराएँ इतनी उग्र और दंगों से भरी थीं कि पटेल, जो एक नरम दल के नेता थे, का मानना था कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राज्य है। हिंदुओं का अधिकार अन्य धर्मों के लोगों के लिए है इसलिए वह आरएसएस के विचारों और उनके हिन्दु राज के स्वपन को पागलपन कहते थे।

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