दो साल पहले गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में हुए ऑक्सीजन कांड में अभियुक्त बनाए गए मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर कफील को सभी आरोपों में क्लीन चिट मिल गई है. सरकार की ओर से कराई गई विभागीय जांच में उन्हें निर्दोष माना गया है.
इस मामले की जांच के लिए राज्य सरकार ने तत्कालीन प्रमुख सचिव (टिकट और पंजीकरण विभाग) हिमांशु कुमार को जांच अधिकारी बनाया गया था. लंबे समय से चल रही जांच के बाद कुछ महीने पहले इस जांच की रिपोर्ट सरकार को सौंप दी गई थी. डॉक्टर कफील ने बताया कि गुरुवार को बीआरडी मेडिकल कॉलेज की ओर से उन्हें ये रिपोर्ट दी गई है.
The Hero of #Gorakhpur Tragedy, Dr.Kafeel Khan has today been cleared of all charges.
Since over Two years, Yogi Govt, Godi Media and BJP IT Cell had harassed and defamed him by throwing up random accusations and blaming him for their own faults.
Satyamev Jayate 🙏 pic.twitter.com/CmhOSJ1K7R
— Dhruv Rathee (@dhruv_rathee) September 27, 2019
दो साल पहले गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 10 से 12 अगस्त के बीच करीब 70 बच्चों की मौत हो गई थी. बताया गया कि बच्चों की मौत इस वजह से हुई क्योंकि उन्हें बचाने के लिए अस्पताल में ऑक्सीजन नहीं था.
इस मामले की शुरुआती जांच में मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य समेत डॉक्टर कफील खान और ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली एजेंसी समेत पांच लोगों को जिम्मेदार पाया गया था. डॉक्टर कफील को इस मामले में पहले गिरफ्तार किया गया उसके बाद उन्हें अस्पताल से निलंबित भी कर दिया गया. कफील को करीब आठ महीने जेल में बिताने पड़े, बाद में उन्हें जमानत मिल गई.
I was punished for the crime I didn't do 😢
After 2 yrs,enquiry report, (commissioned by @myogiadityanath govt)has accepted that there is no evidence of medical negligence
I was nowhere involved with oxygen supply/tender/maintenance/payment or order@narendramodi @timesofindia pic.twitter.com/7mfWZlPQAR— Dr Kafeel Khan (@drkafeelkhan) September 27, 2019
डॉक्टर कफील शुरू से ही खुद को निर्दोष बता रहे थे और पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग कर रहे थे. पूरे मामले में जांच अधिकारी को डॉक्टर कफील की लापरवाही किसी स्तर पर नहीं मिली और उन्होंने इसी आधार पर 18 अप्रैल 2019 को शासन को रिपोर्ट भेज दी. हालांकि चार महीने तक रिपोर्ट को सार्वजनिक ना करने पर भी सवाल उठ रहे हैं.
Those parents who lost their infants are still waiting for the justice.I demand that government should apologize and give compensation to the victim families.@PTI_News @TimesNow @myogiadityanath @narendramodi @ndtv @ravishndtv @abhisar_sharma @yadavakhilesh @RahulGandhi @UN pic.twitter.com/WaTwQSCUuZ
— Dr Kafeel Khan (@drkafeelkhan) September 27, 2019
खुद को दोषमुक्त बताए जाने के बाद डॉक्टर कफील ने राहत की सांस ली है. उनका कहना था, “बहुत खुश हूं. पूरे परिवार के लिए दो साल बाद बहुत बड़ी खुशी आई है. इस जांच को खुद योगी जी ने कराया और उसने मुझे पाक साफ बताया है.
इस रिपोर्ट ने ये माना है कि कफील ने खुद ऑक्सीजन के सिलिंडर लाकर बच्चों की जान बचाई. दो साल से सिर पर कातिल, बदनाम जैसे दाग लेकर घूम रहा हूं. अब शायद ये दाग धुल जाएं लेकिन सही न्याय तभी मिलेगा जब वास्तविक दोषी सामने आएंगे और उन्हें सजा दी जाएगी.”
डॉक्टर कफील का कहना था, “इन दो सालों में उन्होंने और उनके परिवार ने जिस प्रताड़ना, अपमान और आर्थिक तंगी को झेला है, उसे वही समझ सकते हैं. अब जबकि सरकार की ही जांच में मुझे सही मान लिया गया है तो ये सारे दर्द कम हो गए हैं. सबसे अहम बात तो ये है कि सरकार ने स्वीकार किए हैं कि अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी थी और बच्चे उसी वजह से मरे हैं.”
इस मामले की जांच प्रमुख सचिव हिमांशु कुमार को यूपी के चिकित्सा शिक्षा विभाग ने सौंपी थी. जांच के बाद हिमांशु कुमार ने 18 अप्रैल को 15 पन्नों की रिपोर्ट सौंपी थी.
रिपोर्ट में कहा गया है कि कफील लापरवाही के दोषी नहीं थे और उन्होंने 10-11 अगस्त, 2017 की रात को स्थिति को नियंत्रित करने की काफी कोशिश की. रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि डॉक्टर कफील ने अपने वरिष्ठ सहयोगियों को ऑक्सीजन की कमी से अवगत कराया था और अपनी व्यक्तिगत क्षमता से सात ऑक्सीजन सिलेंडर भी मुहैया कराए थे.
हालांकि रिपोर्ट में उन्हें प्राइवेट प्रैक्टिस करने का दोषी माना गया है लेकिन कहा गया है कि अगस्त 2016 के बाद उन्होंने निजी प्रैक्टिस बंद कर दी थी. यानी जब ये घटना हुई उसके लगभग साल भर पहले ही कफील ने निजी प्रैक्टिस छोड़ दी थी.
कफील ने पांच महीने तक उन्हें अंधेरे में रखने के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. इस बारे में अब तक सरकार की तरफ से कोई बयान नहीं आया है ना ही सरकार ने कफील को रिपोर्ट देने की पुष्टि की है.
गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 10 अगस्त 2017 को ऑक्सीजन की कमी के चलते कई बच्चों की मौत हो गई थी. शुरुआत में अखबारों और सोशल मीडिया में डॉक्टर कफील को हीरो बताया गया क्योंकि उन्होंने बाहर से सिलेंडर मांगकर कई बच्चों की जान बचाई.
22 अगस्त को डॉ. कफील को लापरवाही बरतने और तमाम गड़बड़ियों के आरोप में सस्पेंड कर दिया गया. अचानक वो नायक से खलनायक मान लिए गए. उन पर कई दूसरे आरोप भी लगे और दो सितंबर 2017 को डॉक्टर कफील को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया. कफील को हाईकोर्ट का भी दरवाजा खटखटाना पड़ा और आठ महीने बाद 25 अप्रैल 2018 को डॉक्टर कफील को जमानत मिली.
साभार- डी डब्ल्यू हिन्दी