कश्मीर पर पूर्व IAS ने दिया था इस्तीफा, अब जाकर बताया असली वजह!
वर्ष 2012 बैच के आईएएस अधिकारी कन्नन गोपीनाथ ने भारतीय प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा दे दिया है। केरल के रहने वाले कन्नन इन दिनों केंद्र शासित प्रदेश दादरा और नगर हवेली में तैनात थे।
अमर उजाला पर छपी खबर के अनुसार, उन्होंने कहा कि वह सिविल सेवा में इस उम्मीद से शामिल हुए थे कि वह उन लोगों की आवाज बन सकेंगे जिन्हें खामोश कर दिया गया लेकिन यहां, वह खुद की आवाज गंवा बैठे। उन्होंने कहा कि वह अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता वापस चाहते हैं। वह अपनी तरह से जीना चाहते हैं, भले ही वह एक दिन के लिए ही हो।
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I just don't understand that if BJP thinks he is working in Favour of Country and maximum people are standing with the Government , so if election is conducted with Paper or with EVM , BJP will Win wid max Votes— Pravesh (@Pravesh50149814) September 26, 2019
कन्नन इन दिनों पावर एंड नॉन कन्वेंशनल ऑफ एनर्जी में सचिव पद पर कार्यरत थे। कहा जा रहा है कि कश्मीर कैडर के आईएएस अधिकारी शाह फैसल के बाद सबसे कम उम्र में आईएएस से इस्तीफा देने वाले वह दूसरे आईएएस अधिकारी हैं।
IAS officer Kannan Gopinathan, who resigned last month to be able to regain “my voice”, on Tuesday claimed that paper trail machines had made electronic voting machines (EVMs) vulnerable to tampering.https://t.co/eeceqIs5gq
— The Telegraph (@ttindia) September 25, 2019
चर्चा है कि वह मौजूदा प्रशासनिक कार्यशैली से नाखुश थे। हालांकि उन्होंने अपने त्यागपत्र में इसे लेकर कुछ लिखा नहीं है। 2012 सिविल सेवा परीक्षा में कन्नन ने 59वीं रैंक हासिल की थी। उन्होंने बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इलेक्ट्रिक इंजीनियरिंग की थी। आईएएस बनने से पहले वह एक निजी कंपनी में डिजाइन इंजीनियर थे।
‘Criticising govt doesn’t make one anti-national’: Kannan IAS, who resigned over J&Khttps://t.co/sphobUcCi6
— TheNewsMinute (@thenewsminute) September 27, 2019
एक मलयालम वेबसाइट को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि यदि आप मुझसे पूछे कि वह क्या कर रहे हैं तो जब दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में से एक देश पूरे राज्य पर प्रतिबंधों का एलान कर दे और यहां तक लोगों के मूलभूत अधिकारों का भी उल्लंघन करें तो ऐसे में कम से उन्हें जवाब देने में समक्ष होना चाहिए कि वह अपनी नौकरी छोड़ रहे हैं। सवाल उनके इस्तीफा देने का नहीं है बल्कि वह कैसे नहीं कर सकते हैं, का है।
उन्होंने कहा कि उनके इस्तीफा को कोई असर नहीं होगा लेकिन जब देश मुश्किल घड़ी से गुजर है, तब यदि कोई उनसे पूछे कि उन्होंने क्या किया तो वह यह नहीं कहना चाहेंगे कि उन्होंने छुट्टी ली और उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका चले गए। इससे बेहतर है नौकरी छोड़ना।
कन्नन वर्ष 2018 में केरल में आई भीषण बाढ़ के दौरान सुर्खियों में आए थे। उन्होंने अपने कंधे पर राहत सामग्री रखकर लोगों तक पहुंचाई थी। उनके इस काम की देशभर में सराहना हुई थी।
इसके अलावा लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने केंद्रीय चुनाव आयोग से मौजूदा केंद्र शासित प्रदेश के बड़े अधिकारियों की शिकायत की थी उन्हें प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है। इसके बाद उन्हें सिलवासा के कलेक्टर पद से हटा दिया गया था। सिलवासा कलेक्टर रहते हुए उन्हें काफी सराहनीय कार्य किए थे।