पाकिस्तान के प्रधानमंत्री एक बार फिर कश्मीर मसले पर मुस्लिम देशों से समर्थन मांगने के लिए यात्रा पर चले गए हैं।
वो कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद इसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठा चुके हैं और वहां से मदद की गुहार भी लगा चुके हैं मगर किसी देश ने उनके साथ इस मामले पर कोई खुलकर कोई समर्थन नहीं किया।
KHAN’S MEDIATION MISSION#Pakistan’s PM #ImranKhan has traveled to #Tehran ‘to facilitate dialogue’ between #Iran and #SaudiArabia, amidst escalating tensions in the region. pic.twitter.com/6climf29vC
— Press TV 🔻 (@PressTV) October 13, 2019
उनको उम्मीद थी कि अमेरिका इस मामले में हस्तक्षेप करेगा और भारत से कश्मीर पर अनुच्छेद 370 को बहाल करने के लिए कहेगा मगर वहां से भी उनके नापाक मंसूबों को कामयाबी नहीं मिल पाई।
और तो और कश्मीर के मामले पर कोई बड़ा मुस्लिम देश भी उनके साथ खड़ा नहीं नजर आ रहा है। सिर्फ मलेशिया और तुर्की ने साथ देने के लिए थोड़ी सी रजामंदी दी थी, उनकी इस रजामंदी के पीछे उनके अपने फायदे निहित थे।
इमरान ख़ान ने शुरु किया ईरान और सऊदी अरब की यात्रा
जागरण डॉट कॉम के अनुसार, इमरान खान रविवार से ईरान और सऊदी अरब की यात्रा के लिए निकल गए हैं। पहले वो ईरान गए हैं उसके बाद सऊदी अरब जाएंगे। उनकी इन दोनों देशों की यात्रा का एजेंडा क्या है? इसका राज विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने खोल दिया।
#Iran and #SaudiArabia came close to blows after the damaging 14 September attack on oil facilities in the Gulf Kingdom https://t.co/AForCw754Y
— Firstpost (@firstpost) October 13, 2019
उन्होंने दोनों देशों की यात्रा पर जाने का पूरा एजेंडा बताया। कहा कि ईरान और सऊदी अरब दो मुस्लिम देश हैं, इस वजह से उनसे इस मामले में दखल देने के लिए कहा जा रहा है जिससे कश्मीर के मुद्दे को सुलझाया जा सके।
मालूम हो कि अभी तक पाकिस्तान की ओर से कश्मीर के मुद्दे को लेकर भारत से जंग की तैयारी की जा रही थी। परमाणु बम से हमला किए जाने तक की बात कही गई। इमरान खान ने UNGA की बैठक में अंतरराष्ट्रीय मंच से परमाणु युद्ध तक की बात कह दी थी।
Iranian Foreign Minister #MohammadJavadZarif has said that #Tehran welcomed efforts by intermediaries to arrange mediation talks with #SaudiArabia, including those by #Pakistani Prime Minister #ImranKhan who is due to arrive on October 12.
Photo: IANS pic.twitter.com/iyc5T8wl5q
— IANS (@ians_india) October 12, 2019
उन्होंने सोचा था कि यदि वो वहां पर इस तरह की बातें कह देंगे तो हो सकता है कि अंतरराष्ट्रीय मंच इस ओर गंभीरता से विचार करें और कश्मीर को लेकर कुछ हो मगर उनकी इस गीदड़भभकी का भी कोई असर नहीं हुआ।
वहां से निराशा हाथ लगने के बाद अब वो फिर से ईरान और सऊदी अरब जाकर इन दो मुस्लिम देशों को अपने साथ जोड़ना चाह रहे हैं।
मुस्लिम देशों को एकजुट करना चाहते हैं इमरान ख़ान
शाह महमूद कुरैशी से जब ये पूछा गया कि इमरान खान किस-किस एजेंडे को लेकर इन दोनों देशों की यात्रा पर गए हैं? तो शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि एजेंडा तय है, कश्मीर के मसले पर हम इन दोनों देशों को साथ लेकर चलना चाहते है, जब साथ देने वालों की संख्या बढे़गी तो अंतरराष्ट्रीय मंच पर दबाव बढ़ेगा।
उसके बाद इस मसले का बातचीत के जरिए हल निकाला जाएगा। कुरैशी अब युद्ध या परमाणु हमले की बात नहीं करते। उनका कहना था कि युद्ध किसी समस्या का हल नहीं है। यदि युद्ध होगा तो उससे काफी नुकसान होगा। ग्लोबल इकानमी पर भी असर पड़ेगा। जन-धन की हानि तो निश्चित है।
जब उनसे पूछा गया कि पाक नेता हसन इकबाल ही कह रहे हैं कि कश्मीर के मसले पर अब कुछ नहीं हो पाएगा? पाकिस्तान को कुछ हासिल नहीं होगा, भारत ने जो कर दिया वो उस पर कायम रहेगा? सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हसन इकबाल जब सत्ता में थे तो उन्होंने अपने 5 साल के कार्यकाल में एक बार भी इस मुद्दे पर कोई बात नहीं की, यहां तक कि कश्मीर का नाम तक नहीं लिया, ये मामला 72 साल पुराना है, उनकी सोच मासूम है।
इसी सरकार ने इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाया है। आज कश्मीर के बारे में अंतरराष्ट्रीय मीडिया को भी पता चल चुका है। इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ। कश्मीर को लेकर तमाम मंचों पर बहस भी हो रही है।