मुस्लिम आरक्षण पर उद्धव ठाकरे ने दिया बड़ा बयान, कहा- ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं आया !

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राज्य में मुस्लिम आरक्षण को लेकर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बयान के बाद गठबंधनसरकार में मतभेद सामने आ गए हैं।

 

जागरण डॉट कॉम पर छपी खबर के अनुसार, उद्धव ने मंगलवार को एक प्रेस कॉफ्रेंस में कहा किशिक्षा के क्षेत्र में मुस्लिम आरक्षण का मुद्दा उनके सामने नहीं आया है।

 

 

इसके बाद कांग्रेस नेता और कैबिनेट मंत्री अशोक चव्हाण सामने आए और कहा किवे मुस्लिमों को आरक्षण देकर रहेंगे।

 

 

इस बीच भाजपा के वरिष्ठ नेता सुधीर मुनगंटीवार ने कहा है कि मुस्लिम आरक्षण को लेकर अगर कांग्रेस-राकांपा ने शिवसेना का साथ छोड़ा तो भाजपा उद्धव ठाकरे का साथ देगी।

 

राकांपा नेता औरराज्य के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री नवाब मलिक ने दो दिन पहले विधान परिषद में मुस्लिमो को शिक्षा संस्थानोंमें 5 फीसदी आरक्षण देने का एलान किया था।

 

इसके बाद से विपक्षी दल भाजपा शिवसेना को घेरनेमें जुट गई थी। मंत्री मलिक के इस बयान के बाद विश्व हिंदू परिषद सहित तमाम हिन्दू संगठनों ने इसकी निंदा करते हुए शिवसेना को कठघरे में खड़ा करना शुरू करदियाथा।

 

मुस्लिम आरक्षण पर उद्धव केबयान के बाद अशोक चव्हाण ने कहा कि कांग्रेस व राकांपा के चुनाव घोषणा पत्र में मुस्लिम आरक्षण का वादा शामिल है।

 

इसलिए हम अपना यह वादा पूरा करके रहेंगे। एआईएमआईएम विधायक मुफ्ती स्माईल ने कहा कि सरकार मुस्लिमों को आरक्षण देना नहीं है। वहीं, महागठबंधनसरकार के मतभेदों पर प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता विधायक राम कदम ने कहा कि ये लोग संविधान से हटकर सिर्फ लोगो को बेवकूफ बना रहे हैं।

 

अशोक चव्हाण के बयान के बाद भाजपानेता सुधीर मुनगंटीवार ने कहा कि अगर राकांपा और कांग्रेस उद्धव ठाकरे सरकार से समर्थन वापस ले लेती हैं तो भाजपाकुछ सीमित मुद्दों पर उन्हेंसमर्थन दे सकती है। उन्‍होंने कहा, ‘शिवसेना के साथ हमारा गठबंधन विचारधारा पर आधारित था।

 

अगर राकांपा और कांग्रेस उन पर दबाव बनाती है तो उन्‍हें चिंता करने की जरूरत नहीं है। यहां तक क‍ि अगर वे सरकार से बाहर हो जाते हैं, तब भी हम कुछ निर्धारित मुद्दों पर सरकार को समर्थन देंगे।’

 

मुनगंटीवार ने कहा-धर्म के आधार पर आरक्षण संविधान के विपरीत है। सिर्फ मुसलमानों को ही धर्म के आधार पर आरक्षण क्‍यों दिया जाना चाहिए, सिखों और ईसाईयोंका आखिर क्‍या अपराध है?

 

मुनगंटीवार ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार ने पहले ही आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया है, जिसमें मुसलमान और ईसाई भी आते हैं।

 

महाराष्ट्र में शिवसेना, राकांपा औरकांग्रेस ने मिलकर सरकार बनाई है। शिवसेना के 56, राकांपा के 54 और कांग्रेस के 44 विधायक हैं। वहीं भाजपा के पास 105 विधायकों की संख्या है।

 

अगर भाजपा और शिवसेना फिर साथ होते हैं तो यह संख्या हो जाएगी 160, जबकि बहुमत के लिए सिर्फ 145 विधायकों की जरुरत है।