दो हफ्ते से लगातार चले रहे विरोध प्रदर्शनों और देश में कामकाज लगभग रुक जाने के बाद लेबनान के प्रधानमंत्री ने आखिरकार इस्तीफा देने का एलान कर दिया है.
BREAKING: Lebanon's Prime Minister Saad Hariri has resigned, succumbing to demands of protesters who have paralyzed the country with nationwide demonstrations for nearly two weeks https://t.co/JmiScIpr4T
— CNN International (@cnni) October 29, 2019
डी डब्ल्यू हिन्दी पर छपी खबर के अनुसार, सु्न्नी राजनेता साद अल हरीरी ने टेलीविजन पर राष्ट्र को संबोधित किया। उन्होंने कहा, “लेबनान के लोगों ने (अर्थव्यवस्था में) गिरावट को रोकने के लिए राजनीतिक समाधान के इस फैसले का पिछले 13 दिन से इंतजार किया है।
ICYMI: Lebanon's Prime Minister Saad Hariri has resigned after weeks of protests and unrest pic.twitter.com/WmHPd3jJvn
— Bloomberg Originals (@bbgoriginals) October 30, 2019
मैंने इस दौरान लोगों की आवाज सुन कर यह कोशिश की है ताकि कोई रास्ता निकले। उन्होंने यह भी कहा, “हमारे लिए अब समय आ गया है कि हमें एक झटका लगे, हम संकट का सामना करें।
मैं बादबा (प्रेसिडेंशियल) पैलेस जा रहा हूं, सरकार का इस्तीफा देने. राजनीतिक जीवन में हमारे सभी सहयोगियों की और हमारी जिम्मेदारी है कि हम लेबनान की रक्षा करें और अर्थव्यवस्था को खड़ा करें।
इससे पहले शिया मुसलमानों के गुट हिज्बुल्ला की वफादार माने जाने वाली एक भीड़ ने बेरुत में प्रदर्शनकारियों के एक शिविर पर हमला कर उसे तहस नहस कर दिया।
सेंट्रल बेरूत में काले कपड़े पहने कुछ लोगों की भीड़ ने हाथों में डंडे और पाइप ले रखे थे और उन्होंने विरोध करने जमा हुए कार्यकर्ताओं के शिविर पर हमला कर दिया।
यह शिविर पिछले कुछ दिनों से चल रहे प्रदर्शनों के केंद्र में है। पिछले हफ्ते हिज्बुल्ला के नेता सैयद हसन नसरल्ला ने कहा था कि प्रदर्शनकारियों ने जिन सड़कों को बंद किया था, उन्हें खोला जाना चाहिए। नसरल्लाह का यह भी कहना है कि प्रदर्शनकारियों को विदेशी दुश्मनों से पैसा मिल रहा है और वो उनका एजेंडा चला रहे हैं।
2008 में हिज्बुल्ला ने राजधानी बेरुत का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया था, उसके बाद से यह बेरुत की सड़कों पर अब तक का सबसे बड़ा संघर्ष कहा जा रहा है।
देश की राजनीति में व्यापक भ्रष्टाचार को लेकर लेबनान में विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला इसी महीने 17 अक्टूबर को शुरू हुआ। बीते 10 दिनों से सरकार का पूरा काम काज ठप्प हो गया है, यहां तक कि बैंक और स्कूल कॉलेज के साथ कारोबार भी बंद पड़े हैं।
देश 1975-90 में हुए गृहयुद्ध के बाद पहली बार इतनी खराब आर्थिक स्थिति का सामना कर रहा है। लेबनानी मुद्रा पाउंड की हालत बेहद खराब है। बीते महीनों में डॉलर का एक काला बाजार भी उभर आया है।
विदेशी मुद्रा का कारोबार करने वाले तीन डीलरों ने बताया कि सोमवार को एक डॉलर 1700 लेबनानी पाउंड में मिल रहा था जो मंगलवार को 1800 तक चला गया जबकि डॉलर की आधिकारिक कीमत 1507.5 पाउंड ही है।