श्रीनगर से लोकसभा सांसद और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला के साथ उनके बेटे और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। उनके साथ पार्टी नेता हसनैन मसूदी भी थे।
बैठक के बाद, उमर ने कहा कि उन्होंने पीएम मोदी से अनुरोध किया है कि किसी भी प्रकार का कोई कदम जल्दबाजी में नहीं उठाया जाना चाहिए जिससे राज्य की स्थिति खराब हो।
अमर उजाला पर छपी खबर के अनुसार, उन्होंने पीएम मोदी से कहा कि वे न्यायाधीन मामलों को अदालतों को को निपटाने दें और अन्य मामलों को एक निर्वाचित सरकार द्वारा निपटाया जाए।
पीएम मोदी को यह भी अवगत कराया गया कि एक साल से अधिक समय बीत चुका है जब राज्य में कोई निर्वाचित सरकार नहीं है और नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) अध्यक्ष ने पीएम से अनुरोध किया कि वह सभी आवश्यक कदम उठाएं ताकि चुनाव आयोग सर्दियों से पहले विधानसभा चुनाव करा सके।
बैठक की प्रशंसा करते हुए, उमर ने कहा कि यह बहुत सौहार्दपूर्ण वातावरण में आयोजित किया गया था। उन्होंने मुलाकात के लिए पीएम मोदी का आभार भी जताया।
इससे पहले सोमवार को नेकां ने लोकसभा में राज्य की स्थिति पर चर्चा के लिए नोटिस दिया था और प्रधानमंत्री मोदी से मिलने का समय भी मांगा था।
इसके बाद उमर ने कहा था, “जम्मू-कश्मीर में अन्य पार्टियों के वरिष्ठ नेताओं से राज्य के हालात पर चर्चा करने से पहले यह महत्वपूर्ण है कि राज्य को लेकर केंद्र सरकार की मंशा को समझने की कोशिश की जाए और यह भी की वे मौजूदा हालात को किस नजरिये से देख रहे हैं। नेकां का पूरा ध्यान इस पर है।”
यह बैठक ऐसे वक्त पर हुई है, जब एक बड़े रणनीतिक कदम के तहत आतंकवाद-रोधी अभियानों को और तेज करने के उद्देश्य से केंद्र ने राज्य में अतिरिक्त 10,000 सैनिकों को तैनात किया है।
इस फैसले के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल की यात्रा हुई, जिसके दौरान उन्होंने राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा की। गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में फिलहाल राष्ट्रपति शासन लागू है।