एक पत्र जो लड़ाकू विमानों की तरह मोदी सरकार पर अचानक बम बरसाने लगा है और वह बम है इस पत्र में लिखे शब्द, जो यह बता रहे हैं कि राफेल डील पर सीधे दख़ल दे रहा था प्रधानमंत्री कार्यालय और मनोहर पर्रिकर ने दिया था उसका जवाब।
प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़, राफेल सौदे का मुद्दा शुक्रवार को भी भारत की संसद में छाया रहा जहां एकजुट विपक्ष ने एक अंग्रेज़ी समाचार पत्र “द हिंदू” की ख़बर का हवाला देते हुए मामले की संयुक्त संसदीय समित (जेपीसी) से जांच कराने तथा प्रधानमंत्री मोदी के इस्तीफ़े की मांग की, वहीं सरकार ने आरोप लगाया कि विपक्ष बहुराष्ट्रीय कंपनियों और निहित स्वार्थ से जुड़े तत्वों के हाथों में खेल रहा है और उसका प्रयास गड़े मुर्दे उखाड़ने जैसा है।
Mr Rafael, please share complete note sheet. People are intelligent enough will decide how to vote. @VinodSharmaView pic.twitter.com/mdymrYKgxZ
— জয় (@Jkp22_) February 8, 2019
आपको बता दें कि अंग्रेज़ी समाचार पत्र “द हिंदू” की ख़बर के मुताबिक, भारतीय रक्षा मंत्रालय तो राफेल सौदे को लेकर बातचीत कर ही रहा था, उसी दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कार्यालय भी अपनी ओर से फ्रांसीसी पक्ष से ‘समांतर बातचीत’ में लगा था।
Rahul Gandhi's press conference on Rafale Scam today. #PakdaGayaModi pic.twitter.com/LcUfZL5p75
— Mini Nagrare (@MiniforIYC) February 8, 2019
अख़बार के अनुसार 24 नवंबर 2015 को रक्षा मंत्रालय के एक नोट में कहा गया है कि प्रधानमंत्री कार्यालय के हस्तक्षेप के चलते बातचीत कर रहे भारतीय दल और रक्षा मंत्रालय की स्थिति कमज़ोर हुई थी।
पार्स टुडे डॉट कॉम के अनुसार, रक्षा मंत्रालय ने अपने नोट में तब के रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर का ध्यान खींचते हुए कहा था कि हम प्रधानमंत्री कार्यालय को ये सलाह दे सकते हैं कि कोई भी अधिकारी जो बातचीत कर रहे भारतीय टीम का हिस्सा नहीं है उसे समानांतर बातचीत नहीं करने को कहा जाए।
“द हिंदू” समाचार पत्र के द्वारा किए गए इस रहस्योद्घाटन के आधार पर भारत के मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके सीधे तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाया कि उन्होंने राफेल डील में खुला घोटाला किया है।
दूसरी ओर भारतीय टीकाकारों का मानना है कि राफेल डील में दिन प्रतिदिन हो रहे नए-नए रहस्योद्घाटनों से अब एक बात तो साफ़ होती हुई दिखाई दे रही है कि कहीं न कहीं इस दाल में कुछ काला है। टीकाकारों के मुताबिक़ राफेल डील मोदी सरकार की गले की हड्डी बनती जा रही है और इसका मुख्य कारण यह है कि मोदी सरकार इस संबंध में कोई ठोस जवाब नहीं दे पा रही है।