प्रयागराज में दो दिन तक चली धर्म संसद के बाद ये प्रस्ताव तो पास हो गया कि राम मंदिर का निर्माण जल्द से जल्द शुरू किया जाय, साथ ही कोर्ट से भी जल्द फैसला देने की अपील की गई लेकिन आरएसएस चीफ मोहन भागवत के सामने जिस तरह का हंगामा मचा उससे साफ हो गया कि मंदिर निर्माण की तारीख न मिलने की बेचैनी को अब छिपाया नहीं जा सकता।
Hungama at Dharam Sansad at #Kumbh2019 After Mohan Bhagwat says #RamMandir will be built in 1 or 2 yrs and endorses @narendramodi crowds chant 'Tareek Bataiye' @CNNnews18 pic.twitter.com/G7Tr5cinPS
— Shreya Dhoundial (@shreyadhoundial) February 1, 2019
ये नारे प्रयागराज में वीएचपी की धर्म संसद में गूंजे थे। अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए पूरे देश से संत महंत जुटे थे और उनकी मौजूदगी में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने साफ कहा कि राम मंदिर बनाने के लिए संघ कुछ भी करेगा।
#WATCH: Ruckus ensued after RSS chief Mohan Bhagwat's speech at the Dharm Sansad called by VHP in Prayagraj, protesters were demanding early construction of Ram temple in Ayodhya. pic.twitter.com/IGnOxThHuq
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) February 1, 2019
इंडिया टीवी न्यूज़ डॉट कॉम के अनुसार, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने शुक्रवार को कहा कि यह मामला निर्णायक दौर में है, मन्दिर बनने के किनारे पर है इसलिए हमें सोच समझकर कदम उठाना पड़ा।
#MohanBhagwat in Dharma Sansad: Sabarimala verdict a conspiracy to hurt Hindu sentiments.#DharmSansad
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— MyNation (@MyNation) February 1, 2019
उन्होंने यह भी कहा कि जनता में प्रार्थना, आवेश और जरूरत पड़ी तो आक्रोश भी जगाया जाना चाहिए। संघ प्रमुख ने कहा, “जिस शब्दों में और जिस भावना से यह प्रस्ताव (राम मंदिर निर्माण) यहां आया है, उस प्रस्ताव का अनुमोदन करने के लिए मुझे कहा नहीं गया है, लेकिन उस प्रस्ताव का संघ के सर संघचालक के नाते मैं संपूर्ण अनुमोदन करता हूं।”
सर संघचालक मोहन भागवत ने कहा, इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के फैसले से यह साबित हो गया था कि ढांचे के नीचे मंदिर है। अब हमारा विश्वास है कि वहां जो कुछ बनेगा वह भव्य राम मंदिर बनेगा और कुछ नहीं बनेगा। ये वो दावा है जो संघ ना जाने कितने साल से कर रहा है लेकिन यहां आए साधु-संतों को कुछ ठोस आश्वासन की उम्मीद थी।
धर्म संसद में मौजूद साधु संतों ने भी मंदिर निर्माण में हो रही देरी के लिए साफ साफ अपनी नाराज़गी ज़ाहिर की। हालांकि दो दिन तक चली संसद मे राम मंदिर निर्माण का प्रस्ताव पास कर दिया गया, साथ ही उन लोगों के गुस्से को शांत करने की कोशिशें भी हुईं जो नारेबाज़ी कर रहे थे।
धर्म संसद में मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट राम मंदिर मामले पर रोज सुनवाई कर दो-तीन महीने में कोई फैसला दे। केंद्र सरकार के गैर विवादित जमीन को वापस लेने के फैसले का ज़बरदस्त स्वागत किया गया है।