तबरेज़ अंसारी मॉब लिंचिंग का मामला संयुक्त राष्ट्र पहुंचा, मचा हड़कंप!

,

   

देश के कई हिस्सों में पिछले कुछ दिनों में हुई मॉब लिंचिंग की घटनाओं ने हर किसी को चिंता में डाल दिया है। झारखंड में तबरेज अंसारी को कथित तौर पर ‘जय श्री राम’ का नारा नहीं लगाने के कारण भीड़ ने मिलकर इतना पीटा था कि उसकी मौत हो गई। अब ये मुद्दा संयुक्त राष्ट्र तक पहुंच गया है। जहां एक एनजीओ ने इस मुद्दे के संबंध में बताया है।

इस मुद्दे पर AIMIM अध्यक्ष और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला है। ओवैसी ने लिखा है कि संघियों ने ऐसे कारनामे किए हैं, जिनकी चर्चा आज यूनाइटेड नेशंस में भी हो रही है।

न्यूज़ ट्रैक पर छपी खबर के अनुसार, हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने गुरुवार को ट्विट करते हुए लिखा है कि, शाबाश, संघी मॉब लिंचर्स, आपने अपने अमानवीय कारणों के चलते भारत के सम्मान को ठेस पहुंचाई है, जिसका उल्लेख संयुक्त राष्ट्र में भी किया जा रहा है।

ओवैसी ने आगे लिखा कि स्कॉटलैंड के न्यायाधीश ने बिल्कुल ठीक कहा है ये संविधान की लिंचिंग है।’ असदुद्दीन ओवैसी ने मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए लिखा है कि मोदी सरकार देश की अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाना चाहती है, वो भी तब जब नफरत को संवैधानिक रूप दिया जा रहा है।

असदुद्दीन ओवैसी ने मोदी सरकार पर निशाना साधता हुए लिखा कि मोदी सरकार देश की इकॉनोमी को 5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाना चाहती है, वो भी तब जब नफरत को संवैधानिक रूप दिया जा रहा है।

आपको बता दें कि असदुद्दीन ओवैसी ने जो वीडियो साझा किया है उसमें संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) के मंच पर झारखंड मॉब लिंचिंग का जिक्र किया जा रहा है।

वीडियो में NGO के द्वारा कहा गया है कि तबरेज अंसारी को झारखंड में हिंदू भीड़ ने जय श्री राम के नारे ना लगाने की वजह से मार दिया गया, इसके अलावा एक मुस्लिम टीचर को भी पीटा गया।

NGO ने अपने बयान में कहा कि सत्ताधारी दल के प्रताप सांरगी ने संसद भवन में कहा कि जो लोग हिंदू नारे नहीं लगा सकते हैं, उन्हें देश में क्यों ही रहना चाहिए।

गौरतलब है कि इससे पहले देश में भी इन मुद्दों को लेकर विवाद हो चुका है। संसद में भी विपक्ष ने इस मसले पर सरकार पर निशाना साधा था. इतना ही नहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने बयान में इसका जिक्र किया था। पीएम मोदी ने कहा था कि इन तरह की चीजों को देश में स्वीकार नहीं किया जाएगा।