मादी शर्मा मादी ग्रुप की हेड हैं। यूरोपीय सांसदों को इन्होंने ही भारत दौरे के लिए आमंत्रित किया था।
यूरोपियन यूनियन के सांसदों के एक दल ने जम्मू कश्मीर के हालात का जायजा लेने के लिए राज्य का दौरा किया। जिसके बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ईयू डेलीगेशन ने कश्मीर में जो देखा, सुना और समझा वह व्यक्त किया।
Howdy Madi? #InternationalBrokerhttps://t.co/oQox2rYY26
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) October 30, 2019
विपक्ष उठा रहा है सवाल
ईयू सांसदों के कश्मीर दौरे को लेकर तमाम तरह के सवाल भी उठाए जा रहे हैं। विपक्षी दलों की ओर से जहां इस मुद्दे को लेकर मोदी सरकार को सवालों के कटघरे में खड़ा किया जा रहा है वहीं इस दौरे के समर्थन में भी कई सारे बयान आ रहे हैं।
We started digging into details of the EU delegation going to Kashmir in their "private capacity" and found some interesting things.
For instance, a lady called Madi Sharma seems to be everywhere. From Maldives to Kashmir.
Kuch toh gadbad hai daya!https://t.co/4UpOPjfJFD
— meghnad 🔗 (@Memeghnad) October 29, 2019
मादी शर्मा बनी हुई हैं सवाल
लेकिन तमाम सवालों, तर्कों और जवाबों के बीच एक नाम जो सुर्खियों में लगातार बना हुआ है वो नाम है मादी शर्मा का। जी हां, वो मादी शर्मा जिन्होंने यूरोपियन यूनियन के सांसदों का कश्मीर दौरा प्लान किया। आइए जानते हैं कौन हैं यूरोपियन यूनियन को कश्मीर दौरे के लिए आमंत्रित करने वाली मादी शर्मा और क्या होगा इस दौरे से फायदा।
The invitation to the European MP's was sent out by someone called Madi Sharma. She promised a 'prestigious VIP meeting' with India's Prime Minister, in addition to the Kashmir trip. (Screenshot of her mail exchange with MEP Chris Davies, released by his office) @OnReality_Check pic.twitter.com/6giTXCCjaq
— Sreenivasan Jain (@SreenivasanJain) October 29, 2019
प्रभा साक्षी पर छपी खबर के अनुसार, मादी शर्मा मादी ग्रुप की हेड हैं। यूरोपीय सांसदों को इन्होंने ही भारत दौरे के लिए आमंत्रित किया था।
Madi Sharmahttps://t.co/A0tShN0enq
Indeed an international broker. pic.twitter.com/qHIr3xJfqd
— Pratik Sinha (@free_thinker) October 30, 2019
खुलासे के बाद हंगामा
एक अंग्रेजी वेबसाइट के मुताबिक 7 अक्टूबर 2019 को मादी शर्मा ने यूरोपीय सांसदों को ईमेल कर 28 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ वीआईपी मीटिंग कराने और 29 अक्टूबर को कश्मीर ले जाने का वादा किया था।
अंतरराष्ट्रीय एनजीओ
उनके मादी ग्रुप के बारे में कहा जा रहा है कि यह कई अंतरराष्ट्रीय प्राइवेट सेक्टर और एनजीओ का एक नेटवर्क है। मादी शर्मा एक एनजीओ विमिंज इकॉनमिक ऐंड सोशल थिंक टैंक चलाती हैं। इसके अलावा मादी सोशल कैपिटलिस्ट इंटरनैशनल बिजनस ब्रोकर, एजुकेशनल आंत्रप्रेन्योर ऐंड स्पीकर’ हैं।
कश्मीर दौरे पर पीएम मोदी ने किया था स्वागत
बता दें कि यूरोपीय संसद के इन सदस्यों ने अपनी दो दिवसीय कश्मीर यात्रा के पहले, सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नई दिल्ली में मुलाकात की थी। प्रधानमंत्री मोदी ने इनका स्वागत करने के साथ उम्मीद जताई थी कि जम्मू कश्मीर सहित देश के अन्य हिस्सों में उनकी यात्रा सार्थक रहेगी।
क्या है पुरा मामला
ईयू सांसदों के कश्मीर घाटी की यात्रा के महत्व की बात करें तो इस दौरे से कश्मीर के हालातों की वास्तविक और सही तस्वीर दुनिया के सामने लाने की भारत की कोशिश है जो ईयू सांसदों के बयानों के बाद सफल होती दिख रही है।
In what capacity did "international business broker", Madi Sharma set up meetings for the foreign MPs with PM Modi & NSA Ajit Doval?
BJP must inform the people about their relationship with her. #BJPkaFarziRashtravad pic.twitter.com/F7Hexz1M9u
— Congress (@INCIndia) October 30, 2019
विपक्ष का सवाल
विपक्षी दलों की तरफ से यूरोपीयन डेलीगेशन के कश्मीर मुद्दे पर हस्तक्षेप जैसी बातें करके इसे पूर्णत: भारत और पाकिस्तान का द्विपक्षीय मामला बताया जा रहा है। उनकी बात कुछ हद तक सही है लेकिन इस तरह की कूटनीति से दुनिया भर में पाकिस्तानी दुष्प्रचार को सीधा और खुला जवाब मिलता प्रतीत भी हो रहा है।
Begs the question: who is Madi Sharma, and what are her credentials to deliver on such a big promise? Because she did deliver. Here she is on the right of the PM, along with other delegation members (with the yellow scarf). pic.twitter.com/K1fNdajb0M
— Sreenivasan Jain (@SreenivasanJain) October 29, 2019
सासंदों पर क्यों उठ रहे सवाल
जब भारत के पास कश्मीर में छिपाने को कुछ नहीं है, हालात धीरे धीरे सामान्य़ हो रहे हैं, तो फिर यूरोप के सांसदों को या फिर किसी और जगह से आए सांसदों को वहां ले जाने मे क्या बुराई है।
#MadiSharma,#Brussels-based #Indian-origin woman who is said to have organised the "unofficial" visit of #EUparliamentarians to #Kashmir, had last year taken a group of #EUparliamentarians to #Maldives ahead of Presidential elections there, falsely presenting it as official visit pic.twitter.com/FWdN4OcTKP
— IANS (@ians_india) October 30, 2019
और ऐसा करने के बाद परिणाम भी दिखने लगा। जिस तरह से ईयू सांसदों ने पाकिस्तान के खोखले दावों की हवा निकाली और पाकिस्तान को कश्मीर पर दुष्प्रचार करने का दोषी ठहराया।
आतंकवाद के मुद्दे और पाकिस्तान के कश्मीर राग पर भी जवाब देते हुए सांसदों ने कहा कि हम आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के साथ हैं, आतंकवाद का मसला यूरोप के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है।
ऐसे में यूरोपियन सांसदों के इस दौरे से घाटी की सही तस्वीर दुनिया के सामने आई। इस बात में सच्चाई है कि कश्मीर में हालात पूरी तरह से सामान्य नहीं हुए हैं।
लेकिन ज्ञात हो कि घाटी के हालात पिछले तीन दशकों से खराब हैं। लेकिन अनुच्छेद 370 के हटने के बाद उम्मीद की एक किरण दिखाई दी है। जिसके बाद पूरी दुनिया को इस रोशनी को देखने देने का अवसर देना बेहतर है।