भारतीय पत्रकार और लेखिका राणा अय्यूब ने बड़ी उपलब्धियां हासिल की, दि वाशिंग्टन पोस्ट में भारतीय राजनीति पर विश्लेषण करेंगी
समाचार पत्र ‘वाशिंगटन पोस्ट’ ने भारत की पत्रकार राणा अयूब को अपने ‘ग्लोबल ओपीनियन’ विभाग में लेखक के तौर पर नियुक्त किया है। जेफ बेजोस की स्वामित्व वाली कंपनी ने गुरुवार को इसकी घोषणा की। मुंबई में रहने वालीं अयूब रोजाना इस कॉलम में भारत के राजनीतिक मामलों पर लिखेंगी।
Thrilled to be joining The Washington Post as their Global opinions writer. Hope I can make a meaningful contribution to a newspaper with a legacy of speaking the uncomfortable truth @hiattf @elopezgrosshttps://t.co/dQN9lfo9rV
— Rana Ayyub (@RanaAyyub) September 26, 2019
अयूब को भारत सरकार की नीतियों के खिलाफ लिखने के लिए जाना जाता है। अखबार के इस विभाग के लिए बरखा दत्त पहले से ही लिख रही हैं।
The Washington Post today announced Indian journalist @RanaAyyub as its latest contributing writer to the Global Opinions section. Ayyub, who is based in Mumbai, will write regularly about political affairs in India.https://t.co/RJvAjjuIzF
— Washington Post PR (@WashPostPR) September 26, 2019
अयूब पहले खोजी पत्रिका ‘तहलका’ में संपादक थीं। वह ‘गुजरात फाइल्स : एनाटॉमी ऑफ एक कवर-अप’ की भी लेखिका हैं।
मालूम हो कि राणा अयूब की ‘गुजरात फाइल्स’ दरअसल सच को कहने और बरतने के संघर्ष का एक उदाहरण है। बुनियादी सवाल अब भी बचा रह जाता है कि सच क्या है?
https://youtu.be/_SNevegC0pY
क्या राणा के लिखे को सच मान लिया जाए? इसका जवाब हमें पुस्तक का आमुख लिखने वाले जस्टिस श्रीकृष्ण के इस वाक्य में मिल सकता है, ”हो सकता है कि इस पुस्तक में जो कहा गया है उस सारे को आप वैलिडेट करने की स्थिति में न हों, लेकिन आप उस साहस और शिद्दत की सराहना किए बगैर नहीं रह सकते जिसका मुज़ाहिरा इस लेखिका ने उस चीज़ को अनावृत्त करने के प्रयास मे किया है जिसे वह खुद सच मानती है।
लगातार बढ़ती हुई बेईमानी, छल-कपट और सियासी हथकंडों के दौर में खोजी पत्रकारिता के उनके इस प्रयास को और उनको सलाम, जिसकी ज़रूरत आज पहले से कहीं ज्यादा हो चुकी है।”