टीपीसीसी अभियान समिति की अध्यक्ष, पूर्व सांसद विजयशांति आखिर किस तरफ रुख करने वाली है इस पर राजनीतिक हलकों में बहस चल रही है।
साक्षी समाचार पर छपी खबर के अनुसार, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने सोमवार को विजयशांति के घर जाकर उनसे मुलाकात की।
दोनों के बीच लगभग एक घंटे तक बातचीत हुई। विजयशांति पहले जहां पार्टी के प्रचार की जिम्मेदारी निभाती थी वहीं पिछले कुछ दिनों से वे पार्टी के प्रचार से बिलकुल गायब हैं और दुब्बाका उपचुनाव में जहां पार्टी प्रचार में कोई कसर बाकी नहीं रख रही वहीं विजयशांति इससे पूरी तरह गायब हैं और ऐसे समय में किशन रेड्डी से उनकी मुलाकात के कई मतलब निकाले जा रहे हैं।
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि किशन रेड्डी ने विजयशांति को फिर से भाजपा में शामिल होने पर उचित प्राथमिकता देने की बात कही वहीं यह भी सुनने में आ रहा है कि विजयशांति कांग्रेस से असंतुष्ट है और उन्होंने किशन रेड्डी से कहा कि वे कुछ समय में सोचकर फैसला लेंगी।
देखा जाए तो विजयशांति लंबे समय से कांग्रेस पार्टी की राजनीति में सक्रिय नहीं हैं। वह इस बात से नाखुश हैं कि राज्य नेतृत्व ने 2019 के संसदीय चुनावों के दौरान पार्टी की अभियान समिति की जिम्मेदारियों को सौंपने के बावजूद उनका सहयोग नहीं किया।
इसके चलते वे कांग्रेस की गतिविधियों में भाग नहीं ले रही। वे लगातार पार्टी सम्मेलनों से अनुपस्थित हैं। हाल ही में पार्टी के राज्य मामलों के प्रभारी मणिक्यम टैगोर जब यहां आए तो बैठक में विजयशांति को भी बुलाया पर वे नहीं गई और अपना इरादा दिल्ली में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को बता दिया।
दुब्बाका उपचुनाव प्रचार की बात करें तो न पार्टी उन्हें पूछ रही है और न ही वे पार्टी प्रचार में किसी तरह की रुचि दिखा रही है।
इससे कांग्रेस के राज्य के नेताओं और विजयशांति के बीच राजनीतिक दूरी बढ़ गई। ऐसे में किशन रेड्डी का उनसे मिलना महत्वपूर्ण हो जाता है।
इसके अलावा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बंडी संजय ने भी कुछ दिन पहले विजयशांति से मिले थे। सूत्रों का कहना है कि विजयशांति 10 नवंबर तक भाजपा में शामिल हो जाएंगी। विजयशांति अच्छा सा मुहूर्त देखकर दिल्ली में वरिष्ठ नेताओं के समक्ष भाजपा में शामिल हो सकती हैं।