भारत से कारोबार समेटने की तैयारी में वोडाफोन! मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने दिया बड़ा बयान !

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ब्रिटेन की टेलिकॉम कंपनी वोडाफोन की राहें भारत में कारोबार को लेकर मुश्किल लग रही हैं। ऐसा कंपनी के CEO निक रीड ने कहा है। कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने कहा कि सरकार जब तक लाइसेंस फी और स्पेक्ट्रम यूजेज चार्ज के तौर पर करीब 40 हजार करोड़ रुपये देनदारी को लेकर कोई फैसला नहीं करती कंपनी की हालत भारत में कारोबार करने को लेकर नाजुक बनी हुई है।

दरअसल, सरकार की ओर से वोडाफोन-आइडिया समेत अन्‍य टेलिकॉम कंपनियों को सरकार की बकाया राशि 92,000 करोड़ रुपये का भुगतान करने को कहा गाय था। इस फैसले के खिलाफ टेलिकॉम कंपनियां सुप्रीम कोर्ट चली गईं, लेकिन यहां से उन्हें कोई राहत नहीं मिली। सुप्रीम कोर्ट ने दूरसंचार कंपनियों को निर्धारित समय सीमा के भीतर बकाये राशि का भुगतान करने का कहा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार को लाइसेंस शुल्क के रूप में भुगतान के लिए भारती एयरटेल पर 21,682.13 करोड़ रुपये और वोडाफोन आइडिया पर 19,822.71 करोड़ रुपये का बकाया है।

बता दें कि वर्ष 2016 में मुकेश अंबानी की टेलिकॉम कंपनी रिलायंस जियो के बाजार में आने के बाद से बाकी के टेलिकॉम कंपनियों के बीच प्राइस वार छिड़ गया। वोडाफोन के सीईओ निक रीड ने कहा, “सुधार के जो रास्ते सुझाव जा रहे हैं अगर उसपर आप गंभीर नहीं है तो स्थिति गंभीर है।” उन्होंने कहा कि अगर आप इस पर चिंता नहीं कर रहे हैं, तो आप नकदी संकट की ओर बढ़ रहे हैं।”

वोडाफोन, जिसके पास वोडाफोन आइडिया का 45% मालिकाना हक़ है वह स्पेक्ट्रम भुगतान और कम लाइसेंस शुल्क और टैक्स भुगतान के लिए दो साल का समय चाहती है। कंपनी अदालत द्वारा स्पेक्ट्रम भुगतानों के लिए भी 10 वर्षों का समय चाहती है, साथ ही ब्याज और जुर्माने पर भी पर छूट की मांग कर रही है।

उल्लखेनीय है कि वोडाफोन के CEO निक रीड और कंपनी के चेयरमैन जेरार्ड क्लिस्टरली ने सितंबर महीने में राहत प्रस्ताव को लेकर सरकारी अधिकारीयों से मुलाकात की थी। साथ ही उन्होंने कहा था कि वोडाफोन देश में सबसे बड़ा एफडीआई देने वाली कंपनी थी। सरकारी कमिटी ने इनकी मांग पर ध्यान दिया है जिसके बाद रीड का कहना है कि हमें आने वाले सप्ताह में कुछ अच्छा सुनने को मिल सकता है।