दोनों देशों के बीच हाल ही में मुश्किल 20 जून को हुई, जब ईरान की इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कोर (आइआरजीसी) ने घोषणा की कि उसने अमेरिका के एक जासूसी ड्रोन को मार गिराया है। ड्रोन मार गिराने की घटना की पुष्टि अमेरिकी सेना के सेंट्रल कमांड ने भी की और कहा कि ईरान ने अमेरिकी नेवी का ड्रोन मार गिराया है।
जागरण डॉट कॉम के अनुसार, अमेरिका ने यह दावा भी किया कि उसका ड्रोन अंतरराष्ट्रीय हवाई क्षेत्र में था न कि ईरानी हवाई क्षेत्र में। अमेरिकी सेना ने इसे बिना किसी कारण का हमला बताया।
इस घटना की प्रतिक्रिया में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पहले तो कहा कि ईरान ने बहुत बड़ी गलती की है। बाद में उनका यह बयान भी आया कि वे ईरान के तीन ठिकानों पर हमला करने के लिए पूरी तरह से तैयार थे, लेकिन हमला होने के सिर्फ 10 मिनट पहले उन्होंने अपना फैसला बदल लिया।
अपने फैसला बदलने पर ट्रंप ने अपने सैन्य जनरल का यह आकलन बताया कि ड्रोन के बदले किए जाने वाले जवाबी हमले के आधे घंटे में ही 150 मौतें होंगी। ट्रंप के मुताबिक यह मानव-विनाश देखते हुए उन्होंने हमला रोकने का आदेश दिया।