ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामेनी ने इस्राइल को धमकी देते हुए कहा है कि ईरान द्वारा एक देश के रूप में इस्राइल को नष्ट करने का मतलब यहूदियों को नष्ट करना नहीं है।
अमर उजाला पर छपी खबर के अनुसार, उन्होंने कहा कि ईरान यहूदियों को नष्ट नहीं करना चाहता है लेकिन सभी धर्मों के लोगों को इस्राइल का भविष्य तय करना चाहिए।
Our position on the case of #Palestine is definitive. Early after the victory of the #Revolution, the Islamic Republic gave the Zionists’ center in Tehran to the Palestinians.
We helped the Palestinians, and we will continue to do so. The entire #Muslim world should do so. pic.twitter.com/e3kl8dJfOv
— Khamenei.ir (@khamenei_ir) November 15, 2019
ईरान में 1979 में हुए इस्लामिक क्रांति के बाद से ही ईरान ने इस्राइल को आधिकारिक रूप से मान्यता देने से इनकार कर दिया था। वहीं, ईरान की तरफ से लगातार फलीस्तीनी चरमपंथी समूहों को समर्थन करता है।
इस्राइल की तरफ से लगातार यह कहा जाता रहा है कि ईरान उसे नष्ट करना चाहता है और मध्य पूर्व में वह उसे अपना प्रमुख दुश्मन मानता है।
राजधानी तेहरान में आयोजित इस्लामिक कॉन्फ्रेंस में खामेनी ने कहा कि एक मुल्क के रूप में इस्राइल को नष्ट करने का मतलब यहूदियों को नष्ट करना नहीं है।
इसका मतलब यह है कि फलस्तीन के लोग फिर चाहे वो मुसलमान, ईसाई या यहूदी हों- उन्हें अपनी सरकार को चुनना चाहिए। खामेनी की तरफ से पश्चिमी मुल्कों की भी आलोचना की गई, जो लगातार ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रोकने के लिए प्रयास करते रहते हैं।
खामेनी ने अपने संबोधन में कहा कि असैन्य परमाणु ऊर्जा की आवश्यकता सभी देशों की है लेकिन पश्चिमी मुल्कों का इस पर एकाधिकार दिखाना गलत हैं। पश्चिम के लोग जानते हैं कि हमें परमाणु हथियार की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि हमारे धार्मिक सिद्धांत भी इसकी इजाजत नहीं देते हैं।
अमेरिका शुरू से ही मानता रहा है कि ईरान परमाणु बमों के निर्माण के लिए सालों से काम कर रहा है इसलिए वॉशिंगटन की तरफ से तेहरान के ऊपर कई तरह के कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए गए हैं।
गौरतलब है कि साल 1979 में ईरान में हुई इस्लामिक क्रांति ने कट्टरपंथियों को सत्ता में आने का मौका दिया और तभी से ईरानी नेता इस्राइल को मिटाने की बात करते रहे हैं।
ईरान शुरू से ही इस्राइल के अस्तित्व को स्वीकार नहीं करता है और उसका कहना है कि इस्राइल ने मुसलमानों की जमीन पर अवैध कब्जा कर रखा है।
दूसरी ओर, इस्राइल भी ईरान को अपने लिए एक खतरे के रूप में देखता है। उसने हमेशा ही ये कहा है कि ईरान के पास परमाणु हथियार नहीं होने चाहिए। मध्य-पूर्व में ईरान के बढ़ते असर से भी इस्राइल के नेताओं की चिंताएं बढ़ जाती हैं।