सख्त कानून के बनने के बावज़ूद पश्चिम बंगाल में नहीं रुक रहा है मॉब लिंचिंग!

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पश्चिम बंगाल में भीड़ हत्या पर अंकुश के लिए सरकार की ओर से कानून बनाने के बावजूद ऐसी घटनाओं पर अंकुश नहीं लग पा रहा है. यह कानून बनने के बाद बीते 10 दिनों के दौरान ऐसे पांच मामलों में दो लोगों की मौत हो चुकी है और तीन लोग गंभीर रूप से घायल हो चुके हैं.

इससे पहले बीती जुलाई में उत्तर बंगाल के जलपाईगुड़ी और अलीपुरदुआर जिलों में सामूहिक पिटाई की घटनाओं में चार लोगों की मौत हो गई थी और तीन अन्य घायल हो गए थे. यह महज संयोग नहीं है कि बंगाल में बीजेपी और उसके सहयोगी संगठनों के उभार के बाद ऐसे मामले बढ़े हैं.

प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष का दावा है कि देश में भीड़ के हाथों हत्या की सबसे ज्यादा घटनाएं पश्चिम बंगाल में ही होती हैं. घोष इसके लिए तृणमूल कांग्रेस सरकार को जिम्मेदार ठहराते हैं. समाजशास्त्रियों का कहना है कि बढ़ती असहिष्णुता के साथ ही ऐसी घटनाओं का धार्मिक पहलू भी है. ज्यादातर मामलों में पीटने और पिटने वाले अलग-अलग कौम के होते हैं.

बंगाल के बर्दवान जिले में बुधवार सुबह कुछ लोगों ने पीट-पीट कर एक व्यक्ति की हत्या कर दी. राज्य में भीड़ हत्या के खिलाफ कानून पारित होने के बाद यह अपने किस्म की दूसरी घटना थी. अब तक मृतक की पहचान नहीं हो सकी है.

बीते चार सितंबर को मुर्शिदाबाद जिले में एक मेडिकल स्टोर में तोड़-फोड़ करने वाले राजमिस्त्री कबीर शेख (32) की भी भीड़ ने बुरी तरह पिटाई की थी. मुर्शिदाबाद मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले जाने पर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.

कूचबिहार जिले के एक गांव में मंगलवार रात को लोगों ने मानसिक रूप से विकलांग एक व्यक्ति की पेड़ से बांध कर पिटाई की थी. लेकिन पुलिस ने समय पर वहां पहुंच कर उसे बचा लिया. बीते आठ सितंबर को पश्चिम बर्दवान जिले के हीरापुर इलाके में कुछ लोगों ने बच्चा चोर होने के संदेह में एक बिजली मिस्त्री की पिटाई की थी. लेकिन पुलिस ने उसे बचा लिया. इस मामले में एक आरोपी को गिरफ्तार किया गया है.

इससे पहले बीते तीन सितंबर को जलपाईगुड़ी जिले के बनियापाड़ा गांव में बच्चा चोर होने के संदेह में 25 साल के धरम सिंह नामक एक व्यक्ति की जम कर पिटाई की गई थी. ऐसे ज्यादातर मामलों में पीड़ित को बचाने के लिए मौके पर पहुंची पुलिस की टीम को भी भीड़ की हिंसा का शिकार होना पड़ा. कहीं पुलिस वालों पर हमले किए गए तो कहीं उनके वाहनों में तोड़-फोड़ की गई.

हाल के महीनों में भीड़ के हाथों पिटाई और हत्या के मामले लगातार बढ़े हैं. बीती जुलाई में उत्तर बंगाल के जलपाईगुड़ी और अलीपुरदुआर जिलों में बच्चा चोर होने के संदेह में क्रमशः दो महिलाओं और दो पुरुषों की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई थी. इसी तरह मालदा जिले में मोटरसाइकिल चुराने के संदेह में लोगों में सनाउल शेख नामक एक युवक की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई थी.

इलाज के लिए कोलकाता लाने के बावजूद उसे बचाया नहीं जा सका था. उसके बाद पूर्व मेदिनीपुर जिले में संजय चंद्र नामक एक युवक को भी चोर होने के संदेह में पीट कर मार डाला गया था. इससे पहले कथित गोरक्षकों ने उत्तर बंगाल में कई लोगों को पीट-पीट कर मार दिया था.

साभार- डी डब्ल्यू हिन्दी