चीन के पास पहले से ही काफी धन है उसे कर्ज देना बंद करें वर्ल्ड बैंक- डोनाल्ड ट्रम्प

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वाॅशिंगटन. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने वर्ल्ड बैंक से कहा है कि वह चीन को कर्ज देना बंद करे। ट्रम्प ने शुक्रवार को ट्वीट में सवाल उठाते हुए कहा कि वर्ल्ड बैंक आखिर क्यों चीन को कर्ज दे रहा है? उसके पास पहले से ही काफी धन है और अगर नहीं है, तो उसे धन पैदा करना चाहिए। ट्रम्प के इन आरोपों का वित्त मंत्री स्टीवन न्यूकिन ने भी समर्थन किया। न्यूकिन ने कहा कि चीन पहले ही छोटे देशों को अरबों डॉलर कर्ज दे रहा है, फिर उसे कर्ज की क्या जरूरत है। संसद में दिए बयान में वित्त मंत्री ने कहा कि अमेरिका ने चीन को दिए जाने वाले बहुवर्षीय कर्ज कार्यक्रम पर आपत्ति जताई है।

वर्ल्ड बैंक ने चीन को 2019 के वित्त वर्ष में करीब 1.3 अरब डॉलर (9268 करोड़ रुपए) कर्ज दिया। यह 2017 के 2.4 अरब डॉलर (17,111 करोड़ रु.) के मुकाबले लगभग आधा रहा। पिछले पांच सालों में वर्ल्ड बैंक ने चीन को औसत 1.8 अरब डॉलर (12,833 करोड़ रु.) लोन दिया है।

चीन का कर्ज कम करने की कवायद शुरू: वर्ल्ड बैंक
वर्ल्ड बैंक बोर्ड ने गुरुवार को ही चीन के आधारभूत और पर्यावरणीय ढांचे में सुधार के लिए पांच साल के कर्ज कार्यक्रम पर विचार शुरू किया है। बैंक ने चीन की मदद के लिए प्रतिबद्धता जताई। हालांकि, बोर्ड का कहना है कि हर साल दिया जाने वाला कर्ज जल्द ही कम होगा। वर्ल्ड बैंक में चीन मामलों के निदेशक मार्टिन रेजर ने कहा कि हम जल्द चीन को दिए जाने वाले कर्ज में कटौती करेंगे, यह हमारे बीच संबंधों के विकास को दर्शाएगा। हमारा जुड़ाव अब सिर्फ कुछ चुनिंदा मुद्दों पर रहेंगे।

वर्ल्ड बैंक सिर्फ गरीब देशों के भले के लिए: अमेरिका

अमेरिका ने वर्ल्ड बैंक के उधार घटाने के आश्वासन के बावजूद चीन को कर्ज देने पर आपत्ति जताई है। ट्रम्प प्रशासन का कहना है कि चीन दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है और खुद अपने पैसे से जरूरतें पूरी कर सकता है। वर्ल्ड बैंक को सिर्फ गरीब देशों की भलाई के लिए ही अपने आर्थिक संसाधनों का इस्तेमाल करना चाहिए।
व्यापार युद्ध खत्म करने के लिए अमेरिका से बात कर रहा चीन
ट्रम्प की तरफ से यह बयान ऐसे समय आया है, जब अमेरिका और चीन नए व्यापार समझौते पर सहमति बनाने के लिए काम कर रहे हैं। अमेरिका अब तक चीन के 550 अरब डॉलर (करीब 39 करोड़ रु.) के उत्पादों पर आयात शुल्क लगा चुका है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने पहले मई में चीन के 250 अरब डॉलर (करीब 18 लाख करोड़ रु.) के आयात पर शुल्क 10% से बढ़ाकर 25% कर दिया था। इसके बाद उन्होंने 1 सितंबर से 300 अरब डॉलर (21 लाख करोड़ रुपए) के अतिरिक्त चाइनीज इम्पोर्ट पर आयात शुल्क 10% शुल्क लगाने का ऐलान किया।