केंद्र की मोदी सरकार द्वारा प्रस्तावित नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर विरोध तेज और तीखा होता जा रहा है। पूरे पूर्वोत्तर भारत सहित राजधानी दिल्ली में भी लोग इस विधेयक का विरोध कर रहे हैं।
इसी बीच विधेयक पर अपना विरोध जताते हुए एक्टिविस्ट और पूर्व आईएएस अधिकारी हर्ष मंदर ने इस बिल के पास होने पर नागरिक अवज्ञा आन्दोलन शुरू करने का ऐलान करते हुए लोगों से उसमें शामिल होने का आह्वान किया है।
If CAB is passed, this is my civil disobedience:
I will officially register Muslim. I will then refuse to submit any documents to NRC. I will finally demand the same punishment as any undocumented Muslim- detention centre & withdrawn citizenship.
Join this civil disobedience— Harsh Mander (@harsh_mander) December 10, 2019
नवजीवन पर छपी खबर के अनुसार, पूर्व आईएएस अधिकारी हर्ष मंदर ने मंगलवार को एक ट्वीट कर कहा कि अगर नागरिकता संशोधन बिल संसद से पास हो जाता है तो वह नागरिक अवज्ञा आन्दोलन की शुरुआत करते हुए मुस्लिम धर्म अपना लेंगे।
उन्होंने कहा कि इसके बाद वह एनआरसी के लिए कोई भी दस्तावेज देने से इंकार कर देंगे और मांग करेंगे कि उन्हें भी वही सजा दी जाए जो बिना दस्तावेज वाले किसी भी मुस्लिम को मिलेगी, जिसमें डिटेंशन सेंटर की यातना और नागरिकता छिने जाने तक की सजा शामिल है।
हर्ष मंदर ने आरोप लगाया है कि बीजेपी सरकार इस नागरिकता संशोधन बिल के जरिये पहले गैर मुसलमानों को सुरक्षा प्रदान करेगी और फिर उसके बाद एनआरसी लागू करेगी, जिसका शिकार सिर्फ मुस्लिमों को बनाया जाएगा।
उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी सिर्फ मुस्लिमों को निशाना बनाने के लिए एनआरसी ला रही है, क्योंकि दूसरे धर्म के लोगों को वह नागरिकता संशोधन बिल के जरिये बचाने जा रही है।
मानवाधिकार कार्यकर्ता ने कहा कि एक बार के लिए राजनीति और कानून को एक तरफ रख भी दें तो सोच कर देखिये कि आप लाखों गरीब लोगों के साथ क्या करने जा रहे हैं।
बता दें कि सोमवार को नागरिकता संशोधन बिल लोकसभा से 80 के मुकाबले 311 वोट से पास हो गया। कानून का रूप देने के लिए इसे अब राज्यसभा से भी पास कराना होगा, जहां यह बिल बुधवार को पेश किया जा सकता है।
इस बिल में पड़ोसी देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान से 31 दिसंबर, 2014 से पहले आने वाले हिंदू, जैन, सिख, बौद्ध, ईसाई और पारसी समुदाय के लोगों को नागरिकता देने की बात कही गई है।
इस बिल से सीधे तौर पर मुस्लिमों को बाहर रखा गया है। इसी को लेकर विपक्ष समेत कई दल और मानवाधिकार कार्यकर्ता इस बिल का विरोध कर रहे हैं।