मुस्लिम आरक्षण का विरोध करेगी बीजेपी- देवेंद्र फडणवीस

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भारतीय जनता पार्टी नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि उनकी पार्टी राज्य सरकार द्वारा मुस्लिमों के लिए प्रस्तावित आरक्षण का विरोध करेगी।

 

उदयपुर किरण पर छपी खबर के अनुसार, महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता असलम शेख ने दावा किया था कि ‘महाविकास अघाड़ी’ सरकार जल्द ही मुस्लिमों के लिए आरक्षण का प्रावधान कर सकती है।

 

यह सत्ताधारी गठबंधन के कॉमन मिनिमम प्रोग्राम में पहले से शामिल हैै। धर्म आधारित आरक्षण की व्यवस्था राज्य सरकार के लिए मुश्किल हो सकती है। शिवसेना आर्थिक आधार पर आरक्षण की पक्षधर है। पार्टी ने मंडल कमीशन की रिपोर्ट का विरोध किया थाा।

 

साल 2014 के लोकसभा नतीजे बीजेपी-शिवसेना के पक्ष में जाने के बाद तत्कालीन कांग्रेस-एनसीपी सरकार ने मराठा (16 प्रतिशत) और मुस्लिम (5 प्रतिशत) आरक्षण अप्रूव कर दिया था। हालांकि बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस व्यवस्था पर रोक लगा दी थी।

 

बाद में देवेंद्र फडणवीस की सरकार ने मराठा आरक्षण के लिए कानून बना दिया लेकिन मुस्लिमों को अनदेखा कर दिया। उस सरकार का हिस्सा शिवसेना भी थी।

 

मराठा आरक्षण का मुद्दा अब सुप्रीम कोर्ट में है। कांग्रेस नेताओं की मुस्लिम आरक्षण के लिए मांग शिवसेना को नुकसान पहुंचा सकती हैै।

 

शिवसेना का जनाधार मुख्य रूप सें मुंबई और उसके आस-पास के जिलों में माना जाता है। ऐसे में अगर पार्टी मुस्लिम आरक्षण बिल पास करती है तो उसे अपनी राजनीतिक राजधानी बदलनी पड़ेगी।

 

क्योंकि इसी मुंबई में 1992-93 के दौरान हुए सांप्रदायिक दंगों के दौरान शिवसेना के कार्यकर्ताओं पर मुस्लिमों के साथ भिड़त का आरोप भी लगता है।

 

केंद्र में सत्तारूढ़ और लंबे समय तक राज्य में शिवसेना की पार्टनर रही भाजपा भी सरकार की कोई आलोचना करने से नहीं चूकेगी।

 

वर्तमान में महाराष्ट्र में आरक्षण का प्रतिशत 78 हैै। इस मामले में को लेकर सरकार में शिवसेना के एक मंत्री की राय है कि मुस्लिम आरक्षण को लेकर पार्टी को दिक्कत हो सकती हैै।

 

उनके मुताबिक कांग्रेस में कुछ ऐसे नेता हैं जो चुनाव से पहले बीजेपी में जाना चाहते थे। लेकिन किसी कारणवश ऐसा नहीं कर सके. अब शिवसेना को किनारे करने के लिए ये मांग उठा सकते हैं।

 

गौरतलब है कि राजिंदर सच्चर कमेटी ने मुस्लिम समुदाय में पिछड़ेपन को लेकर कई बिंदु उठाए थे।

 

इसी के मद्देनजर 2013 में कांग्रेस-एनसीपी सरकार ने पूर्व आईएएस महमुद-उर-रहमान की अगुवाई में कमेटी बनाकर मुस्लिमों की स्थिति की समीक्षा करवाई थी। तब कांग्रेस-एनसीपी सरकार ने तो मुस्लिम आरक्षण का रास्ता साफ कर दिया था। लेकिन बाद में मामला कोर्ट में फंस गया।