क्या तुर्की पाकिस्तान के सपोर्ट से परमाणु शक्ति बनना चाहता है?

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तुर्की द्वारा परमाणु और मिसाइल प्रौद्योगिकियों का तेजी से उत्पादन और प्रसार दुनिया भर में लोकतांत्रिक शक्तियों के लिए प्रमुख चिंता का विषय हुआ है।

पंजाब केसरी पर छपी खबर के अनुसार, इसने उत्तरी अटलांटिक से लेकर मध्य पूर्व तक के देशों की शांति और शांति को खतरे में डाल दिया है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन अपनी भू राजनीतिक आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए पाकिस्तानी परमाणु और मिसाइल प्रौद्योगिकियों को धन मुहैया करवा रहे हैं।

22-23 दिसंबर 2020 को तुर्की-पाकिस्तान उच्च-स्तरीय सैन्य संवाद समूह (HLMDG) की रक्षा सहयोग पर चर्चा इसका बड़ा उदाहरण है। इस बैठक में पाकिस्तान के रक्षा सचिव लेफ्टिनेंट जनरल।” (सेवानिवृत्त।) मियां मुहम्मद हिलाल हुसैन ने पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया, जबकि तुर्की के सेना प्रमुख जनरल सेल्कुक बराकराट्रोग्लू ने तुर्की प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया।

बैठक दोनों देशों की सेनाओं के शीर्ष स्तर के प्रतिनिधियों के बीच कई दौर की बैठकेंहुईं। रक्षा प्रतिनिधियों के बीच पिछली बैठकों में हुई प्रगति की भी समीक्षा की गई और चर्चा की गई।

तुर्की मीडिया ने बताया कि अन्य चीजों के अलावा, संयुक्त उत्पादन और खरीद सहित रक्षा उद्योग सहयोग पर बहुत जोर दिया गया।

पाकिस्तानी जनरलों ने तुर्की के रक्षा मंत्री हुलसी अकर और तुर्की सेना के प्रमुख जनरल यासर गुलेर से भी मुलाकात की।

सूत्रों का मानना ​​है कि इस बैठक के दौरान हुई चर्चा और विचार-विमर्श दोनों देशों के बीच परमाणु और मिसाइल प्रौद्योगिकियों को साझा करने की एक बड़ी पटकथा का हिस्सा है।

माना जाता है कि एर्दोगन ने परमाणु हथियार तकनीक साझा करने के लिए पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल बाजवा से व्यक्तिगत रूप से अनुरोध किया है, जिस पर पाकिस्तान ने सहमति व्यक्त की है।