राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने शनिवार को कहा कि संस्कृत की जानकारी के बिना, भारत को पूरी तरह से समझना काफी कठिन है। उन्होंने कहा कि जनजातीय भाषा समेत देश में मौजूद सभी भाषाओं में कम से कम 30 फीसदी संस्कृत शब्द हैं।
यहां एक किताब के विमोचन पर भागवत ने कहा कि यहां तक डॉ. भीमराव आंबेडकर ने भी अफसोस जताते हुए कहा था कि उन्हें संस्कृत सीखने का अवसर नहीं मिला, यह देश की परंपराओं के बारे में जानने का अहम कारक है।
अमर उजाला पर छपी खबर के अनुसार, संघ प्रमुख ने कहा कि देश के किसी भी भाग में ऐसी कोई भाषा नहीं है जिसे तीन से चार महीने में पढ़ाया जा सके। यदि हम किसी भाषा को पहली बार सुन रहे हैं और व्यक्ति धीरे से बोल रहा है तो हम उसके भावनाओं को कम से समझ सकते हैं और इसकी वजह संस्कृत है। संस्कृत सभी भाषाओं को आपस में जोड़ती है।