विश्व बैंक ने कहा है कि बांग्लादेश और नेपाल की आर्थिक विकास दर चालू वर्ष 2019 में भारत से तेज रहेगी। उसने कहा है कि दक्षिण एशिया की आर्थिक विकास दर वैश्विक सुस्ती के कारण कम रहने का अनुमान है।
खास खबर पर छपी खबर के अनुसार, विश्व बैंक ने मौजूदा वित्त वर्ष में भारत की विकास दर के अनुमान को 2018-19 के मुकाबले कम कर दिया है। इस वित्त वर्ष की शुरुआती तिमाहियों में व्यापक गिरावट के बाद भारत की विकास दर गिरकर 6 फीसदी रहने का अनुमान है।
#ExpressBiz |The World Bank’s previous projection for India was 7.5 per cent, and this was announced in April.https://t.co/AU3yVoWLvf
— The Indian Express (@IndianExpress) October 13, 2019
जबकि 2018-19 में देश की विकास दर 6.9 फीसदी रही। हालांकि, दक्षिण एशिया आर्थिक फोकस के अपने नवीनतम संस्करण में बैंक ने कहा कि यदि मौद्रिक नीति उदार रही तो 2021 में धीरे-धीरे 6.9 प्रतिशत और 2022 में 7.2 प्रतिशत की ग्रोथ के अनुमान की उम्मीद है।
https://twitter.com/bsindia/status/1183564329007890434?s=19
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ विश्व बैंक की वार्षिक बैठक से पहले जारी रिपोर्ट ने लगातार दूसरे साल भारत की आर्थिक वृद्धि में गिरावट दर्ज की है। 2018-19 में यह वित्त वर्ष 2017-18 में 7.2 प्रतिशत से नीचे 6.8 प्रतिशत पर रहा।
India’s growth rate is projected to fall to 6% in 2019-20, the World Bank said on Sunday. https://t.co/hZrj8m2Xb4
— Financial Express (@FinancialXpress) October 14, 2019
विश्व बैंक के अनुसार बांग्लादेश की विकास दर 7.9 फीसदी से बढ़कर इस साल 8.1 फीसदी रहने की संभावना है। नेपाल में इस साल और अगले साल औसत विकास दर 6.5 फीसदी रहन का अनुमान है।
इसके विपरीत संकटों से घिरे पाकिस्तान की विकास दर घटकर महज 2.4 फीसदी रहने की सभावना है। पाकिस्तान में सख्त मौद्रिक नीति अपनाई जा रही है। वित्तीय अनुशासन के कारण घरेलू मांग भी प्रभावित हो रही है।
विनिर्माण और निर्माण गतिविधियों में वृद्धि के कारण औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर 6.9 प्रतिशत हो गई, जबकि कृषि और सेवा क्षेत्र में वृद्धि क्रमशः 2.9 और 7.5 प्रतिशत तक सीमित रही।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2019-20 की पहली तिमाही में अर्थव्यवस्था को मांग पक्ष पर निजी खपत में भारी गिरावट और उद्योग और सेवाओं दोनों में वृद्धि के कमजोर होने के साथ एक महत्वपूर्ण और व्यापक-आधारित विकास मंदी का अनुभव हुआ।
विश्व बैंक की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चालू खाता घाटा 2018-19 में सकल घरेलू उत्पाद के 2.1 प्रतिशत से एक साल पहले 1.8 प्रतिशत से अधिक हो गया था जो कि ज्यादातर बिगड़ते व्यापार संतुलन को दर्शाता है।
बैंक ने कहा कि वित्त वर्ष की पहली तिमाही में उच्च मंदी और उच्च आवृत्ति संकेतक, ने सुझाव दिया कि पूरे वित्त वर्ष के लिए उत्पादन वृद्धि 6 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण आय, घरेलू मांग (ऑटोमोबाइल की बिक्री में तेज गिरावट के रूप में) और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के ऋण में धीमी वृद्धि के कारण खपत में गिरावट की संभावना है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में तनाव और शहरी क्षेत्रों में उच्च युवा बेरोजगारी की दर के कारण जीएसटी और विमुद्रीकरण की शुरुआत के कारण आयी रुकावटों ने सबसे गरीब घरों के लिए जोखिम को बढ़ा दिया है।
हालांकि, निवेश से मध्यम अवधि में घरेलू कंपनियों के लिए प्रभावी कॉर्पोरेट कर की दर में हाल ही में कटौती से लाभ होगा, लेकिन वित्तीय क्षेत्र की कमजोरियों को प्रतिबिंबित करना जारी रहेगा।
बैंक ने कहा कि भारत के लिए मुख्य नीति चुनौती निजी खपत को कम करने और कमजोर निवेश के पीछे के संरचनात्मक कारकों को दूर करना है।
इसमें कहा गया है कि इसमें वित्तीय फिसलन को कम करने के प्रयासों की भी आवश्यकता होगी, क्योंकि उच्च-दर की अपेक्षा से अधिक सार्वजनिक उधारी ब्याज दरों पर दबाव डाल सकती है।