दुनिया की एक चौथाई आबादी पानी की किल्लत से प्रभावित!

   

बढ़ती मांग के कारण विश्वस्तर पर 1960 के बाद से पानी की निकासी दोगुनी से अधिक हो गई है। यही वजह है कि मौजूदा वक्‍त में दुनियाभर की एक चौथाई आबादी पानी की भारी किल्लत की जूझ रही है।

जागरण डॉट कॉम के अनुसार, वर्ल्‍ड रिसोर्स इंस्टीट्यूट (डब्ल्यूआरआइ) ने दुनियाभर के देशों में पानी की किल्लत को देखते हुए एक अध्ययन किया है। डब्ल्यूआरआइ ने बताया कि भारत के कई स्थानों पर पानी की समस्या चेन्नई से भी ज्यादा है।

पानी की परेशानी के अनुसार देशों को नंबर दिए हैं और उनको क्रम में रखा है। डब्ल्यूआरआइ की ओर से जारी रिपोर्ट में 17 देशों को गंभीर जल संकट वाला देश बताया गया है। इनमें भारत 13वें स्थान पर है। डब्ल्यूआरआइ ने बताया कि भारत के लिए ज्यादा चिंता की बात इसलिए है, क्योंकि यहां की आबादी बाकी 16 देशों की कुल आबादी से भी तीन गुना अधिक है।

डब्ल्यूआरआइ ने भारत के जल शक्ति मंत्रलय द्वारा पानी की किल्लत से निपटने के लिए उठाए गए कदमों पर ध्यान देते हुए सुझाव दिया है कि भारत सिंचाई के लिए कम से कम पानी का उपयोग करके, वर्षा जल का संचय, झीलों का संरक्षण और भूगर्भ जल स्रोतों को रिचार्ज कर पानी के संकट से निपटा जा सकता है।

डब्ल्यूआरआइ की रिपोर्ट में बताया गया है कि जलवायु परिवर्तन से भविष्य में यहां पर स्थितियां और विकट ही होंगी। विश्वबैंक के अनुसार, इस क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन से होने वाली पानी की कमी से बड़ी आर्थिक क्षति की संभावना है। यह क्षति 2050 तक वार्षिक जीडीपी का छह से 14 प्रतिशत तक हो सकती है।

चेन्नई में हाल ही में पानी की भारी किल्लत सामने आई थी। इसके बाद नीति अयोग ने कहा था, ‘भारत अपने इतिहास के सबसे बड़े जल संकट से पीड़ित है और लाखों लोगों की आजीविका खतरे में है।’

भारत में नदियों और झीलों के अलावा भूजल स्रोत बड़े पैमाने पर हैं, जो सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराते हैं। 1990 से 2014 के बीच उत्तर के क्षेत्रों में भूजल का स्तर प्रतिवर्ष आठ सेमी की दर से गिरा है।

विश्वभर में 17 देश ऐसे हैं जहां भूजल के उपलब्ध संसाधनों का 80 फीसद तक दोहन किया जाता है। वहीं, 44 देश ऐसे हैं जहां पर पानी के उपलब्ध संसाधनों का 40 फीसद तक दोहन किया जाता है।

सबसे अधिक पानी की किल्लत वाले 17 देशों में से 12 मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका के हैं। यह क्षेत्र सूखा और गर्म है इसलिए यहां पर पानी की उपलब्धता कम है, लेकिन मौजूदा समय में पानी की बढ़ती मांग से यहां किल्लत बहुत बढ़ गई है।

डब्लूआरआइ ने बताया कि अभी जिन देशों में पानी की उतनी किल्लत नहीं है वहां भी कुछ हिस्सों में स्थितियां बिगड़ रही हैं। जैसे इस लिस्ट में 48वें नंबर पर आने वाले दक्षिण अफ्रीका के वेस्टर्न केप और 71 नंबर पर आने वाले अमेरिका के न्यू मेक्सिको में पानी को लेकर दिक्कतें बढ़ने लगी हैं।

डब्लूआरआइ ने इस लिस्ट को बनाने के लिए एक्वाडक्ट टूल का उपयोग किया जो पानी के जोखिम के 13 संकेतकों का उपयोग करके देश की स्थिति का निर्धारण करता है। इसमें प्रत्येक देश को स्कोर प्रदान कर उनका क्रम निर्धारित किया गया है।

साभार- जागरण डॉट कॉम