ब्रिटेन में जन्में लेखक आतिश अली तासीर अपना ‘ओवरसीज सिटिजन ऑफ इंडिया’ (ओसीआई) कार्ड गंवा सकते हैं। दरअसल, उन्होंने कथित तौर पर यह तथ्य छुपाया कि उनके पिता पाकिस्तानी मूल के थे।
Writer Aatish Ali Taseer loses OCI status.#ITVideo
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प्रभा साक्षी पर छपी खबर के अनुसार, गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने बताया कि नागरिकता अधिनियम 1955 के अनुसार, तासीर ओसीआई कार्ड के लिए अयोग्य हो गए हैं क्योंकि ओसीआई कार्ड किसी ऐसे व्यक्ति को जारी नहीं किया जाता है जिसके माता-पिता या दादा-दादी पाकिस्तानी हों और उन्होंने यह बात छिपा कर रखी।
It is painful to see an official spokesperson of our government making a false claim that is so easily disproved. It is even more painful that in our democracy such things happen: https://t.co/6OWLbHcKU3 Is our Govt so weak that it feels threatened by a journalist? @tavleen_singh https://t.co/lCPteIWQKG
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) November 7, 2019
प्रवक्ता ने बताया कि तासीर (38) ने स्पष्ट रूप से बहुत बुनियादी जरूरतों को पूरा नहीं किया और जानकारी को छुपाया है।
नागरिकता अधिनियम के अनुसार, अगर किसी व्यक्ति ने धोखे से, फर्जीवाड़ा कर या तथ्य छुपा कर ओसीआई कार्ड हासिल किया है तो ओसीआई कार्ड धारक के रूप में उसका पंजीकरण रद्द कर दिया जाएगा और उसे काली सूची में डाल दिया जाएगा। साथ ही, भविष्य में उसके भारत में प्रवेश करने पर भी रोक लग जाएगी।
TIME’s new international cover: Can the world’s largest democracy endure another five years of a Modi government? https://t.co/oIbmacH9MS pic.twitter.com/IqJFeEaaNW
— TIME (@TIME) May 9, 2019
तासीर पाकिस्तान के दिवंगत नेता सलमान तासीर और भारतीय पत्रकार तवलीन सिंह के बेटे हैं। प्रवक्ता ने इस बात से भी इनकार किया कि सरकार टाइम पत्रिका में आलेख लिखने के बाद से तासीर के ओसीआई कार्ड को रद्द करने पर विचार कर रही थी।
Writer, Aatish Taseer is the son of late #Pakistani politician Salmaan Taseer and Indian journalist @tavleen_singh #OCICard #HomeMinistry #MinistryOfHomeAffairs #Citizenshiphttps://t.co/SjRvvUDGyK
— Outlook India (@Outlookindia) November 8, 2019
इस आलेख में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना की गई थी। वहीं, गृह मंत्रालय के बयान पर तासीर ने ट्विटर पर कहा कि उन्हें जवाब देने के लिए 21 दिन नहीं, बल्कि 24 घंटे दिए गए थे।