“रजत शर्मा ने बांद्रा में मजदूरों की भीड़ को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की”

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देश में घटने वाली कोई भी अप्रिय घटना को मुसलमानों से जोड़ने का भारतीय मीडिया में एक चलन सा चल पड़ा है। फिर चाहे मरकज का मामला हो या कोई और ऐसा ही मामला कल मुंबई के बांद्रा रेलवे स्टेशन पर मजदूरों की भीड़ को देखने के बाद सामने आया है।

बांद्रा स्टेशन के पास मस्जिद है वहा खड़ी भीड़ का वीडियो जब वायरल हुआ तो मीडिया संस्थानों ने इस भीड़ को मस्जिद से जोड़ने की कोशिश की जबकि इस भीड़ से मस्जिद या मुस्लिम समुदाय का दूर दूर से कोई लेना देना नहीं था।

दरअसल उन्होंने मंगलवार (14 अप्रैल, 2020) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा देशव्यापी लॉकडाउन 3 मई तक बढ़ाए जाने के बाद मुंबई के उपनगरीय बांद्रा पश्चिम स्टेशन के बाहर इकट्ठा हुए प्रवासी मजदूरों से जुड़ा ट्वीट किया। ट्वीट में उन्होंने कहा, ‘बांद्रा में जामा मस्जिद के बाहर इतनी बड़ी संख्या में लोगों का इकट्ठा होना चिंता की बात है। इन्हें किसने बुलाया? अगर ये लोग घर वापस जाने के लिए ट्रेन पकड़ने के लिए आए थे तो उनके हाथों में सामान क्यों नहीं था?’

उनके इस ट्वीट पर पत्रकार निखिल वागले ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, ‘आप बडे बेशर्म हैं। एक तो मुंबई के बारे मे कुछ नही जानते और कोशिश कर रहे हैं सांप्रदायिक रंग देने की। इस मस्जिद के सामने बांद्रा स्टेशन है और ये लोग वहां टिकट लेने आए थे। आप जैसे किसी घटिया चैनल ने ट्रेन शुरू होने की अफवा उडाई थी। बस?’

पत्रकार रजत शर्मा के ट्वीट पर अन्य यूजर्स ने भी प्रतिक्रिया दी है। ट्विटर यूजर सुरेश @SureshShroff1 लिखते हैं, ‘क्योंकि मस्जिद ही उनका स्टेशन था। उनको मस्जिद ही जाना था। मस्जिद में ही उनको बुलाया गया था।’ ब्रिंग इट ऑन @TigersBloodCell ट्वीट कर लिखते हैं, ‘सूरत का वीडियो नहीं दिखाएंगे।’ इसी तरह बीए @bobbyfaith लिखते हैं, ‘वागले जी इस बात का भी जवाब दीजिए कि उनके हाथ में कोई सामान क्यों नहीं था।’ कुशाल @kaushal365 लिखते हैं, ‘ये सारे भेड़िए खाल उतार चुके हैं, अब खुल के आ गए हैं नफरत की रोटी सेकने के लिए।’ रविश कुमार (Parody) @Ravishk356 लिखते हैं, ‘धर्म के नाम पर मत बांटो रजत शर्मा, वो भीड़ स्टेशन पर एकत्रित हुई है इतनी ^&%$ किस के लिए कर रहे हो। सब याद रखा जाएगा।’

इसी तरह खलील सलमानी @khalidsalmani1 लिखते हैं, ‘मरकज, मस्जिद, मुसलमान के अलावा और कुछ भी दिखता है शर्मा अंकल ?? कुछ दिन पहले दिल्ली बस स्टैंड में और 3 दिन पहले गुजरात मे भी मजदूर यूं सड़कों पर आए थे। वो क्यों आए सड़कों पर उनको किसने बुलाया था। वहां कौन सी मस्जिद थी? अगर पत्रकार हो तो गरीबों के बीच जाकर उनका दर्द पता करो।’ दिवेश सिंह @DiveshS43893953 लिखते हैं, ‘यह सब एक सुनियोजित साजिश है कुछ लोग है जो नहीं चाहते की लॉक डाउन सफल हो। सरकार की विफलता बस इतनी है की ऐसे व्यक्ति आजाद घूम रहे हैं उन पर कोई कठोर कार्रवाई नहीं हो रही। यदि मलेशिया की भांति गोली मारने का आदेश हो जाए तो 5 मिनट में सब अपने बिल में घुस जाएंगे।’

बता दें कि इस रजत शर्मा अपने एक अन्य ट्वीट के चलते भी सोशल मीडिया यूजर्स के निशाने पर आ चुके हैं। बीते शुक्रवार (10 अप्रैल, 2020) को उन्होंने ट्वीट कर ऐसे शहरों के नाम बताए जहां कथित तौर पर लॉकडाउन का पालन नहीं किया जा रहा है। ट्वीट में उन्होंने कहा, ‘दिल्ली के जामा मस्जिद के इलाके में लड़के क्रिकेट खेल रहे हैं। मुंबई के भांडुप में बाजार लगा है। कोलकाता के कोले मार्केट में सड़क पर सब्जी की दुकानें सजी हैं। लॉकडाउन तोड़ने के ऐसे ढेर सारे उदाहरण हैं। अपील बहुत हो गई। अब सख्ती करने का वक्त आ गया है।’ पत्रकार शर्मा ने जिन क्षेत्रों के नाम बताए वो सभी गैर भाजपा शासित हैं। ऐसे में सोशल मीडिया यूजर्स ने उन्हें निशाने पर ले लिया।