अभिनेत्री से नेता बनीं उर्मिला मातोंडकर ने मंगलवार को कहा कि उन्होंने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। वह इस साल मार्च में लोकसभा चुनावों से ठीक पहले ही कांग्रेस में शामिल हुई थीं. उर्मिला ने ‘पार्टी के भीतर की तुच्छ राजनीति’ को कांग्रेस छोड़ने की वजह बताई. उन्होंने कहा कि मेरी राजनीतिक और सामाजिक संवेदनाएं पार्टी और देश के लिए एक बड़े लक्ष्य को हासिल करने के लिए हैं. उन्होंने कहा कि मेरी संवेदनाए इस बात की इजाजत नहीं देती कि मैं पार्टी में रह कर अपने स्वार्थ की पूर्ति करूं और हो रही गुटबाजी का हिस्सा बनूं.
उर्मिला ने अपने त्याग पत्र में सीधे तौर पर पार्टी में गुटबाजी का आरोप लगाया है. आपको बता दें कि पार्टी में शामिल होने के पांच महीने बाद ही उर्मिला ने पार्टी छोड़ दी. लोक सभा चुनाव के दौरान वे उत्तर मुंबई की लोकसभा सीट से कांग्रेस की प्रत्याशी थीं. उर्मिला भाजपा प्रत्याशी गोपाल शेट्टी से हार गईं थी. उर्मिला ने अपने पत्र में लिखा कि पार्टी में उन लोगों को इनाम दिया जाता है जो लोग पार्टी को हराने का काम करते हैं. उन्होंने कहा कि यह मेरा पहला राजनीतिक कदम था और मैं कांग्रेस की विचार धारा से प्रभावित होकर पार्टी में आई थी.
उर्मिला ने अपने पत्र में यह भी बताया कि उन्होंने पहली बार तब इस्तीफे के बारे में सोचा था जब मैंने 16 मई को तत्कालीन मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष मिलिंद देवड़ा को मैंने पत्र लिखा था और उन्होंने इसका कोई जवाब नहीं दिया. उन्होंने कहा कि बाद में मेरे और देवड़ा के बीच इस पत्र को गोपनीय तरीके से मीडिया में लीक कर दिया गया यह मेरे साथ एक बड़ा धोखा था. उन्होंने कहा कि इस पत्र में मैंने कुछ ऐसे लोगों के बारे में बात की थी जिनकी वजह से पार्टी को हार नसीब हुई, लेकिन पार्टी की तरफ से उन लोगों पर किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं हुई.
उन्होंने अपने त्याग पत्र में लिखा कि मेरे पत्र के लीक मामले के बाद किसी ने भी माफी नहीं मांगी और पार्टी के किसी भी व्यक्ति के अंदर इसके लिए अफसोस की भावना नहीं थी. आपको बता दें कि उर्मिला ने हाल ही में जम्मू कश्मीर से केंद्र सरकार के अनुच्छेद 370 हटाने का भी विरोध किया था. उन्होंने कहा था कि कश्मीर में सरकार ने इंटरनेट और फोने सेवाएं बाधित कर रखी हैं जिससे मैं अपने पति और ससुराल वालों की खबर नहीं ले पा रही हूं.