श्रीलंका में कट्टरपंथी बौद्धों की तरफ़ से मुस्लिम ईसाई हमेशा निशाना बनाते रहे हैं!

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श्रीलंका में ईस्टर के दिन कई चर्चों और होटलों में धमाकों में कम 162 से ज्यादा लोग मारे गए हैं। ये धमाके राजधानी कोलंबो और उसके आसपास हुए।

श्रीलंका में 2009 में गृह युद्ध खत्म होने के बाद से यह वहां सबसे बड़ा हमला है। अस्पताल के सूत्रों ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि मरने वालों में अमेरिका, ब्रिटेन और नीदरलैंड्स के नागरिक भी शामिल हैं।

पुलिस और मीडिया की रिपोर्टों का कहना है कि ये धमाके रविवार को उस समय हुए जब चर्चों में ईस्टर की प्रार्थना चल रही थी। धमाकों में ऐसे होटलों को भी निशाना बनाया गया जहां अकसर विदेशी ठहरते हैं।

अभी तक किसी समूह ने इन धमाकों की जिम्मेदार नहीं ली है। कुछ ईसाई समूहों का कहना है कि उन्हें हाल के सालों में कट्टरपंथी बौद्धों की तरफ से डराया धमकाया जाता रहा है। वहीं बौद्धों का अल्पसंख्यक मुसलमानों से टकराव होता रहा है। उनका कहना है कि मुसलमान लोगों का धर्म परिवर्तन करा रहे हैं।

डी डब्ल्यू हिन्दी पर छपी खबर के अनुसार, पुलिस ने बताया कि जिन चर्चों को हमलों में निशाना बनाया गया उनमें से एक सेंट एंथनी श्राइन राजधानी कोलंबो के उत्तर में है जबकि दूसरा चर्च सेंट सेबास्टियन चर्च नेगोंबो शहर में पड़ता है।

तीसरा चर्च जहां हमला हुआ, उसका नाम है जियोन चर्च जो उत्तरी शहर बाट्टीकलोआ में पड़ता है। पुलिस का कहना है कि बट्टीकलोआ के अस्तपाल में 500 से ज्यादा घायलों का इलाज चल रहा है।

श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने इन हमलों को “कायरतापूर्ण” बताया है और उन्होंने इस बारे में अपने कैबिनेट की आपात बैठक बुलाई है। उन्होंने अपने एक ट्वीट में कहा, “श्रीलंका मजबूत और एकजुट बना रहेगा।