अर्थव्यवस्था बुरे दौर में- देश के इन 8 उद्योगों की हालत सबसे खराब

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अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर देश की स्थिति सुधरते नहीं दिखाई दे रही है। देश में बुनियादी क्षेत्र के आठ उद्योगों का उत्पादन अक्तूबर में 5.8 प्रतिशत घटा है जो आर्थिक नरमी के गहराने की ओर इशारा करता है। सरकार ने शुक्रवार को आधिकारिक आंकड़े जारी किए। आठ प्रमुख उद्योगों में से छह में अक्तूबर में गिरावट दर्ज की गई।

देश में कोयला उत्पादन अक्तूबर में 17.6 प्रतिशत, कच्चा तेल उत्पादन 5.1 प्रतिशत और प्राकृतिक गैस का उत्पादन 5.7 प्रतिशत गिरा। इस दौरान सीमेंट उत्पादन 7.7 प्रतिशत, स्टील 1.6 प्रतिशत और बिजली उत्पादन 12.4 प्रतिशत गिर गया। समीक्षावधि में सिर्फ उवर्रक क्षेत्र में सालाना आधार पर 11.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। वहीं रिफाइनरी उत्पादों की वृद्धि दर घटकर 0.4 प्रतिशत पर आ गई जो पिछले साल इसी माह में 1.3 प्रतिशत थी। अक्तूबर 2018 में बुनियादी क्षेत्र के इन आठ उद्योगों के उत्पादन में 4.8 प्रतिशत की बढ़त रही थी। सितंबर 2019 में यह आंकड़ा 5.1 प्रतिशत गिरावट में था। लगातार दूसरे महीने गिरावट आई है। पिछले माह सितंबर में बुनियादी क्षेत्र के आठ उद्योगों का उत्पादन सालाना आधार पर 5.1 प्रतिशत गिरा था जो एक दशक का सबसे सुस्त प्रदर्शन था। आंकड़ों के बारे में रेटिंग एजेंसी इक्रा ने कहा कि बुनियादी क्षेत्र के खराब प्रदर्शन के आधार पर अक्तूबर 2019 में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में और संकुचन हो सकता है।

राजकोषीय घाटा अनुमान का 102 प्रतिशत पहुंचा
देश का राजकोषीय घाटा अक्तूबर के अंत में 7.2 लाख करोड़ रुपये था जो चालू वित्त वर्ष के बजट अनुमान के 102.4 प्रतिशत के बराबर है। सरकार ने चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा 7.03 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान जताया है जो सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 3.3 प्रतिशत तक रहेगा। उल्लेखनीय है कि सरकार ने सितंबर महीने में कंपनियों के लिये कर की दर को कम करने का निर्णय किया था। इससे राजस्व के मोर्चे पर 1.45 लाख करोड़ रुपये का असर होगा। एंजेल कमोडिटी  के डिप्टी वाइस प्रेसिडेंट (एनर्जी एवं करेंसी) अनुज गुप्ता ने बताया कि जीडीपी गिरने और राजकोषीय घाटे बढ़ने से भारतीय रुपये पर दबाव बढ़ेगा। डॉलर के मुकाबले रुपया 72 के पार जल्द जा सकता है।