चुनावों से रमजान को जोड़ना गलत, आयोग बिल्कुल ध्यान न दे- जावेद अख्तर

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दिग्गज गीतकार व पटकथा लेखक जावेद अख्तर ने लोकसभा चुनाव के दौरान पड़ रहे रमजान को लेकर हो रही बहस पर नाराजगी जताते हुए इसे बेतुका करार दिया है. उन्होंने निर्वाचन आयोग से इस पर बिल्कुल भी विचार नहीं करने का आग्रह किया है. गौरतलब है कि चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद कुछ लोगों ने कहा कि रमजान के दौरान चुनाव होने से मुस्लिम समुदाय के लोगों को परेशानी हो सकती है.

अख्तर ने सोमवार रात ट्वीट किया, मैं चुनाव और रमजान को लेकर इस पूरी बहस को बिल्कुल बेतुका मानता हूं. उन्होंने कहा, यह धर्मनिरपेक्षता का विकृत और पेचीदा रूप है जो मेरे लिए बेतुका, विभत्स और असहनीय है. चुनाव आयोग को इस पर बिल्कुल विचार नहीं करना चाहिए. समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान और तृणमूल कांग्रेस के नेता व कोलकाता के महापौर फिरहाद हकीम द्वारा सात चरणों के लोकसभा चुनाव कार्यक्रम पर सवाल उठाए जाने के बाद 74 वर्षीय गीतकार की यह प्रतिक्रिया आई है.

दरअसल ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) और ऑल इण्डिया मुस्लिम वूमेन पर्सनल लॉ बोर्ड के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने मई में रमजान के दौरान लोकसभा चुनाव कराये जाने पर नाराजगी जाहिर करते हुए निर्वाचन आयोग से तारीखें बदलने पर विचार करने की मांग की है. हालांकि चुनाव आयोग ने रमजान के महीने में चुनाव कराने के फैसले पर उठ रहे सवालों को नकारते हुए कहा कि चुनाव कार्यक्रम में मुख्य त्योहार और शुक्रवार का ध्यान रखा गया है.

एआईएमपीएलबी के वरिष्ठ कार्यकारिणी सदस्य और लखनऊ के शहर क़ाज़ी मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने छह मई से 19 मई के बीच होने वाले लोकसभा चुनाव कार्यक्रम को लेकर कहा कि पांच मई को मुसलमानों के सबसे पवित्र महीने यानी रमजान का चांद देखा जाएगा. अगर चांद नजर आ जाता है तो छह मई को पहला रोजा होगा. रमजान के दौरान देश में छह, 12 और 19 मई को मतदान होगा. मौलाना फरंगी महली ने कहा कि निर्वाचन आयोग को देश के मुसलमानों का ख्याल रखते हुए चुनाव कार्यक्रम तय करना चाहिये था.

ऑल इण्डिया मुस्लिम वूमेन पर्सनल लॉ बोर्ड की अध्यक्ष शाइस्ता अम्बर ने भी रमजान के दौरान चुनाव कराये जाने पर नाखुशी जाहिर की है. शाइस्ता ने कहा कि चुनाव भी लोकतंत्र का पर्व है, लेकिन अगर इसकी घोषणा में सभी समुदायों की भावनाओं का ख्याल किया जाता तो खुशी होती. उन्होंने कहा कि रमजान के महीने में रोजा रहकर वोट देने में तकलीफों का सामना करना पड़ेगा. साथ ही नमाज में भी बाधाएं आएंगी.