भाजपा टिकट के साथ बॉलीवुड सितारों ने जीत हासिल की, उर्मिला मातोंडकर, शत्रुघ्न सिन्हा को भारी हार का सामना करना पड़ा!

   

इस लोकसभा चुनाव में मतदाताओं ने बिहार के इन पति-पत्नी की जोड़ी को पसंद नहीं किया।

एक ओर सुपौल से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रही रंजीत रंजन और उनके पति मधेपुरा से जाप प्रत्याशी राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव को जनता ने इस बार पूरी तरह से नकारा है तो वहीं पटना साहिब सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी रहे सांसद शत्रुघ्न सिन्हा को भी भाजपा प्रत्याशी रविशंकर प्रसाद के सामने मुंह की खानी पड़ी है।

शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी और सपा के सिंबल पर लखनऊ सीट से उम्मीदवार पूनम सिन्हा को भी राजनाथ सिंह ने करारी शिकस्त दी है।

शुरुआती रुझानों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश की मथुरा सीट से चुनाव लड़ रही हेमा मालिनी और गोरखपुर से प्रत्याशी भोजपुरी सुपरस्टार रवि किशन को छोड़कर फिल्मी दुनिया से आए उम्मीदवारों के लिए अच्छे संकेत नहीं दिखे।

मथुरा सीट से ‘ड्रीम गर्ल’ हेमा मालिनी लगातार दूसरी बार जीत गई हैं। भोजपुरी स्टार रवि किशन ने भी जीत दर्ज की है। उन्होंने गोरखपुर सीट से बीजेपी प्रत्याशी के तौर पर अपने निकटतम सपा-बसपा-रालोद गठबंधन प्रतिद्वंद्वी रामभुआल निषाद से तीन लाख से ज्यादा मतों से जीत हासिल की।

रामपुर से भाजपा प्रत्याशी अभिनेत्री जया प्रदा गठबंधन प्रत्याशी आजम खां से 109997 वोटों से हार गई हैं। इसके अलावा फतेहपुर सीकरी सीट पर सिने अभिनेता और उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजबब्बर करीब चार लाख वोटों से पीछे हैं।

फिल्म अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी लखनऊ से सपा प्रत्याशी पूनम सिन्हा केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से 3.45 लाख मतों से हार गईं।

मुंबई उत्तर की सीट से कांग्रेस के टिकट पर पहली बार चुनाव लड़ने उतरीं अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर का ‘चुनावी ग्लैमर’ फीका रहा। रुझानों के मुताबिक, वह भाजपा के गोपाल शेट्टी से साढ़े चार लाख से ज्यादा मतों से हार गई हैं।

उर्मिला ने अपना चुनावी प्रचार बड़े जोर-शोर से शुरू किया था, लेकिन सियासी पर्दे पर उनका जलवा बेअसर रहा।

इस बार के नतीजों ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि मोदी की आंधी नहीं, सुनामी है जिसमें बड़े-बड़े दिग्गजों की नैया बह चली। एक बार फिर यह साबित हो गया है कि फिलहाल देश में मोदी का जादू कम नहीं हुआ है।

शत्रुघ्न और उनकी पत्नी पूनम सिन्हा और राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव व उनकी पत्नी रंजीत रंजन की हार ने यह तय कर दिया है कि जनता अब परिवार और रिश्ता नहीं काम और विकास चाहती है।