भाजपा सांसद ने डार्विन के सिद्धांत को नकारा, कहा- ‘हम बंदरों की नहीं, ऋषियों की संतान’,

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भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सांसद सत्यपाल सिंह (Satyapal Singh) ने शुक्रवार को मानवाधिकार संरक्षण (संशोधन) विधेयक 2019 का विरोध करने को लेकर विपक्ष की आलोचना करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति में कभी मानवाधिकार को लेकर बात नहीं की गई है, बल्कि अच्छे सदाचारी मानवीय चरित्र पर जोर दिया गया है. लोकसभा में विधेयक पर बहस में हिस्सा लेते हुए मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त ने डार्विन के सिद्धांत को नकारते हुए कहा, “मानव प्रकृति की विशेष रचना है. हमारा मानना है कि हम भारतीय ऋषियों की संतान हैं. हम उनकी भावना को ठेस नहीं पहुंचाना चाहते हैं जिनका कहना है कि वे बंदरों की संतान हैं.”

उन्होंने कहा, “हमारी संस्कृति में मानवीय चरित्र के निर्माण पर जोर दिया जाता है. हमारे वेदों में हमें सदाचारी मानव बनने और अच्छे मानव पैदा करने की शिक्षा दी गई है. हमारी संस्कृति सच्चे मानव बनने पर जोर देती है.”

संस्कृति में एक उद्धरण पेश करते हुए उन्होंने कहा, “मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा और चर्च जाने से धर्म की कसौटी पूरी नहीं होती है. धर्म के अनुसार, हमें उसी तरह का व्यवहार करना चाहिए जिस तरह के व्यवहार की अपेक्षा हम दूसरों से अपने लिए करते हैं. अगर मैं चाहता हूं कि कोई मुझे तंग न करे तो मुझे भी किसी दूसरे को तंग नहीं करना चाहिए. यह धर्म है.”

पूर्व मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री सिंह ने पहले भी ‘डार्विन के सिद्धांत’ को खारिज करते हुए एक बार कहा था कि यह वैज्ञानिक रूप से गलत है. उन्होंने कहा था कि वह खुद को वानर की संतान नहीं मानते.

सत्यपाल सिंह की बात पर विपक्षी सदस्यों ने विरोध दर्ज कराया. TMC की सदस्य महुआ मोइत्रा ने कहा , “यह उत्पत्ति के सिद्धांत के खिलाफ है.” सिंह के बयान के बाद चर्चा में भाग लेते हुए DMK सांसद कनिमोई ने कहा, “दुर्भाग्य से मेरे पूर्वज ऋषी नहीं हैं. मेरे पूर्वज होमो सैपियंस हैं जैसा कि वैज्ञानिक कहते हैं और मेरे माता-पिता शूद्र हैं. वे किसी भगवान से भी नहीं जन्मे थे.”