सत्ता तक पहुंचने के लिए कांग्रेस ने तैयार किया ये प्लान !

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एग्जिट पोल के बाद सत्ता पक्ष की ओर से भले ही ये बयान आ रहे हैं कि विपक्ष बौखला गया है, लेकिन कांग्रेस पार्टी अभी खुद को सत्ता की दौड़ में मान कर चल रही है। इसके लिए अंदरखाने दो प्लान भी तैयार कर लिए गए हैं। हालांकि ये प्लान ए और प्लान बी तभी सफल होंगे, जब कांग्रेस की सीटें 150 से ज्यादा आएंगी। मंगलवार को कांग्रेस पार्टी के आधा दर्जन नेताओं ने यूपीए के सहयोगियों और दूसरे विपक्षी दलों से बातचीत की है। अब वोटों की गिनती शुरू होने का इंतजार है। यूपीए के अधिकांश सहयोगियों को यह भरोसा है कि एग्जिट पोल गलत साबित होंगे।

कांग्रेस पार्टी के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि हम एग्जिट पोल को सही नहीं मानते। ईवीएम-वीवीपैट के मसले पर कांग्रेस और दूसरे दलों के नेता काम कर रहे हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि कोई हमारे बारे में ये कहे कि विपक्ष अपनी संभावित हार के डर से बौखला गया है। कांग्रेस ने जो प्लान तैयार किया है, उसमें दो बातें हैं।

एक तो कांग्रेस पार्टी की खुद की सीटें और दूसरा, सहयोगी दलों को कितनी सीट मिल पाती हैं। इसके बाद नंबर आता है मित्रों का। यहां सहयोगी और मित्रों के बारे में स्पष्ट कर दें कि सहयोगी का मतलब है जिसके साथ मिलकर चुनाव लड़ा गया है। मित्रों में वे दल आते हैं, जिन्होंने एक साथ चुनाव नहीं लड़ा मगर वे केंद्र में सरकार बनाने के लिए एक-दूसरे को समर्थन दे सकते हैं। जैसे सपा-बसपा गठबंधन यूपीए के मित्रों की श्रेणी में आता है।

कांग्रेस नेता के मुताबिक, अगर हमें 150 से ज्यादा सीटें मिलती हैं तो केंद्र में यूपीए के नेतृत्व वाली सरकार बन सकती है। इस स्थिति में कांग्रेस का प्रयास रहेगा कि पीएम उनकी पसंद का हो। हालांकि यह प्लान भी तभी सार्थक होगा, जब यूपीए के दूसरे सहयोगियों और मित्रों को कम से कम 140 सीटें मिलें।

कांग्रेस पार्टी मानकर चल रही है कि मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और बिहार सहित कई दूसरे राज्यों के बारे में जो एग्जिट पोल दिखाए जा रहे हैं, वे सच्चाई से दूर हैं। यहां पर कांग्रेस पार्टी और सहयोगी दल बहुत अच्छा परिणाम लाएंगे। कांग्रेस नेता का दावा है कि प्लान ए के बारे में हमने अपने सभी सहयोगियों और मित्रों के साथ बातचीत कर ली है।

इनमें आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और तेलुगू देशम पार्टी के मुखिया एन.चंद्रबाबू नायडू, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन, पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव शामिल हैं। इन नेताओं के साथ बातचीत का दूसरा दौर पूरा कर लिया गया है।

कांग्रेस पार्टी ने जो प्लान बी तैयार किया है, उसमें सहयोगी या मित्र सामने होंगे। यानी केंद्र में सरकार बनाने की कवायद कांग्रेस नहीं करेगी, बल्कि वह दूसरे दलों को समर्थन देगी। यह स्थिति तभी संभव होगी, जब कांग्रेस की सीटों का ग्राफ 150 से कम रहता है। कांग्रेस का पहला प्रयास यह होगा कि दक्षिण भारत के किसी नेता को समर्थन दिया जाए। दूसरा, जब सरकार के गठन या पीएम पद को लेकर कोई भी सहमति नहीं बनती है तो उस स्थिति में सपा-बसपा गठबंधन के नेताओं का साथ दिया जा सकता है।

यहां पर बता दें कि प्लान बी में यह बात स्पष्ट कर दी गई है, सपा-बसपा का समर्थन केवल उसी स्थिति में किया जाएगा, जब इन दोनों दलों को यूपी में 60 से ज्यादा सीटें मिलें। कांग्रेस पार्टी की ओर से यूपीए के दो नेताओं ने केरल और तेलंगाना के मुख्यमंत्री, जो कि तीसरा मोर्चा खड़ा करने का प्रयास कर रहे हैं, उनसे बातचीत की है।

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और तेलुगू देशम पार्टी के मुखिया एन. चंद्रबाबू नायडू ने मंगलवार को भाकपा नेता जी सुधाकर रेडी, डी राजा, राकांपा प्रमुख शरद पवार, एलजेडी नेता शरद यादव, माकपा महासचिव सीताराम येचुरी और वाईएसआर कांग्रेस के प्रमुख से बात की है।

दूसरी ओर, कांग्रेस पार्टी के नेता पी चिदंबरम, गुलाम नबी आजाद, अहमद पटेल, एमपी के मुख्यमंत्री कमलनाथ और राजस्थान अशोक गहलोत ने भी करीब 17 दलों के नेताओं के साथ व्यक्तिगत तौर पर या टेलीफोन पर बातचीत की है।

बुधवार को शरद यादव, आरजेडी, टीएमसी और दक्षिण भारत की कई पार्टियों के नेताओं के साथ बातचीत करेंगे। कांग्रेस ने चंद्रबाबू नायडू और अहमद पटेल को यह जिम्मेदारी सौंपी है कि 23 मई को सोनिया गांधी के नेतृत्व में होने वाली यूपीए की बैठक में सभी सहयोगी व मित्र दल शामिल हों।