कृषि कानूनों के खिलाफ़ 11 विपक्षी दलों ने संयुक्त बयान जारी किया!

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11 विपक्षी पार्टियों ने गुरुवार को एक संयुक्त बयान जारी कर कहा कि केंद्र सरकार को नए कृषि कानूनों को निरस्त कर देना चाहिए और उनके खिलाफ निराधार आरोप लगाना बंद कर देना चाहिए।

जागरण डॉट कॉम पर छपी खबर के अनुसार, विपक्षी नेताओं ने मांग की है कि कृषि सुधार पर किसानों और अन्य साझीदारों के साथ विचार-विमर्श के बाद नया कानून बनाया जाना चाहिए। जरूरत पड़ने पर उन्होंने संसद का विशेष या संयुक्त सत्र बुलाने का भी सुझाव दिया है।

कांग्रेस, राकांपा, द्रमुक, राजद, सपा, माकपा, भाकपा, भाकपा (माले), एआइबीएफ, आरएसपी और पीएजीडी की ओर से जारी संयुक्त बयान में इन पार्टियों के नेताओं ने आंदोलन कर रहे किसानों के साथ एकजुटता का इजहार किया है।

बयान में कहा गया है कि प्रधानमंत्री को निराधार आरोप लगाना बंद कर देना चाहिए।

प्रधानमंत्री मोदी की ओर से लगाए गए आरोपों का हम जोरदार विरोध करते हैं।

उन्होंने जो विपक्षी पार्टियों पर कृषि कानूनों के बारे में किसानों के साथ बार-बार झूठ बोलने और अपनी राजनीति के लिए उनका इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है, वह गलत है। प्रधानमंत्री का आरोप सच्चाई से कोसों दूर है।

विपक्षी नेताओं ने कहा है कि कृषि कानूनों को पर्याप्त समय दिए बिना जब संसद से पारित कराया जा रहा था, तो हमने उसका विरोध किया था। जिन सांसदों ने इस मुद्दे पर मत विभाजन की मांग की थी, उन्हें निलंबित कर दिया गया।