कभी कभी हमें कोई इंसान जैसा दिखता है। वो वैसा नहीं होता। उसके पीछे की असलियत कुछ और ही होती है।
वन इंडिया पर छपी खबर के अनुसार, इसकी एक बानगी मध्य प्रदेश के ग्वालियर में देखने को मिली है।
मध्य प्रदेश के ग्वालियर की सड़कों पर भीख मांगता मिला शख्स फर्राटेदार अंग्रेजी बोल रहा था। लोगों ने उससे बात की तो वो मैकेनिकल इंजीनियर निकला है।
यह कहानी ठीक वैसी है जैसी पिछले दिनों उस वक्त सामने आई जब मध्य प्रदेश पुलिस के डीएसपी ने भिखारी के हाल चाल जाने तो उन्हीं के बैच पुलिस अफसर मनीष मिश्रा निकला था।
मैकेनिकल इंजीनियर से भिखारी बने इस शख्स का नाम सुरेंद्र वशिष्ठ है। उम्र 90 साल है।
आईआईटी कानपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त कर चुके हैं। फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते हैं। वर्ष 1972 में लखनऊ के डीएवी कॉलेज से एलएलएम भी पास कर चुके हैं।
दरअसल, पिछले दिनों मध्य प्रदेश पुलिस की क्राइम ब्रांच के डीएसपी रत्नेश सिंह तोमर और विजय सिंह ने ग्वालियर में ही सड़क किनारे एक भिखारी को ठिठुरते देखा।
भिखारी से बात की तो उनके बैच का पुलिस अफसर मनीष मिश्रा निकला था, जिसे बाद में ग्वालियर की आश्रण स्वर्ण सदन संगठन ने रेस्क्यू किया। संगठन मनीष मिश्रा का इलाज करवा रहा है।
अब इसी संगठन से जुड़े विकास गोस्वामी बताते हैं कि ग्वालियर बस स्टैण्ड पर उन्हें एक बुजुर्ग भिखारी मिला।
उनकी तबीयत खराब थी। वो लेटे हुए थे। बातचीत की तो पता चला कि वो भिखारी आईआईटी कानपुर से पास आउट मैकेनिकल इंजीनियर सुरेंद्र वशिष्ठ है।
आश्रण स्वर्ण सदन की टीम ने सुरेंद्र वशिष्ठ की उनके रिश्तेदारों से बात करवाने की कोशिश की और उन्हें आश्रम ले आए।
यहां लाकर उन्होंने बताया कि सुरेंद्र के पिता जेसी मिल के सप्लायर थे, जो बाद में बंद हो गई। हालांकि फिलहाल यह पता नहीं चल पाया कि सुरेंद्र की यह हालात किस वजह से हुई।
साभार- वन इंडिया हिन्दी