एक बार फिर जमीयत उलमा-ए-हिंद के सदर बने अरशद मदनी!

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देश में मुसलमानों के सबसे बड़े संगठन जमीयत उलमा-ए-हिंद की कार्यसमिति की बैठक में सर्वसम्मति से मौलाना सैयद अरशद मदनी को सातवीं बार संगठन का अध्यक्ष चुना गया।

अमर उजाला पर छपी खबर के अनुसार, इसके साथ ही बैठक में देश की वर्तमान स्थिति सहित अन्य महत्वपूर्ण राष्ट्रीय और सामाजिक मुद्दों पर भी गहनता से चर्चा की गई।


जमीयत उलमा-ए-हिंद के मीडिया प्रभारी मौलाना नियाज फारूखी ने बताया कि मंगलवार को दिल्ली में जमीयत उलमा-ए-हिंद की बैठक का आयोजन हुआ। जिसमें जमीयत के आगामी कार्यकाल की अध्यक्षता के लिए सभी राज्य की इकाइयों की कार्यसमिति की सिफारिशों की समीक्षा की गई।

जिसमें सभी राज्य की इकाइयों ने मौलाना सैयद अरशद मदनी के नाम की सिफारिश की। जिसके बाद मौलाना मदनी को सातवीं बार संगठन का अध्यक्ष चुना गया।

इसके साथ ही बैठक में देश की वर्तमान स्थिति, शासन प्रशासन की लापरवाही के साथ अन्य महत्वपूर्ण राष्ट्रीय और सामाजिक मुद्दों खासकर शिक्षा और मुसलमानों के शैक्षिक पिछड़ेपन पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए इस पर काम करने की रणनीति तैयार की गई।

इस मौके पर मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि आजादी के बाद से ही देश की सभी सरकारों ने एक निर्धारित नीति का पालन करते हुए मुसलमानों को शिक्षा के क्षेत्र में पीछे करने का काम किया है।

इसलिए जमीयत अपने प्लेटफार्म से मुसलमानों में शिक्षा को आम करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर मुहिम शुरू करेगी और जहां जरूरत होगी वहां स्कूल और मदरसे स्थापित किए जाएंगे।

बैठक में असजद मदनी, मौलाना अशहद रशीदी, मौलाना मुश्ताक, मुफ्ती गयासुद्दीन, हाजी हसन अहमद कादरी, हाजी सलामतुल्लाह, मुफ्ती मासूम साकिब, मौलाना हबीबुर्रहमान कासमी, मौलाना मौलाना अब्दुल्लाह नासिर आदि मौजूद रहे।