क्या खिलौनों के बाजार पर कब्जा कर पायेगा भारत?

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प्रधानमंत्री मोदी ने अपने रेडियो प्रोग्राम मन की बात में बच्चों के लिए खिलौना बाजार को बढ़ावा देने और विदेशी खिलौनों पर निर्भरता कम करने के लिए भारत को खिलौना हब के रूप में विकसित करने की बात कही थी।

 

न्यूज़ ट्रैक पर छपी खबर के अनुसार, ऐसा इसलिए क्योंकि देश में जो खिलौने बिकते हैं, उसमें 65-75 फीसदी अकेले चीन के होते हैं।

 

IBIS वर्ल्ड की रिपोर्ट के अनुसार, विश्व के 70 फीसदी खिलौने चीन निर्मित होते हैं, इसलिए चीन का भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के खिलौना बाजार पर दबदबा है।

 

वहीं, इस क्षेत्र में भारत की हिस्सेदारी 0.5 है, जो कि काफी कम है। चीन का वर्चस्व इसलिए अधिक है क्योंकि उसने खिलौना निर्माण को बढ़ावा देने के लिए अलग नीति तैयार की है।

 

इस नीति के तहत चीन में 14 प्लग इन टॉय सेंटर स्थापित किए हैं। इन केंद्रों पर जाकर कोई भी व्यापारी अपना कारोबार आरंभ कर सकता है।

 

वहीं, भारत सरकार द्वारा पिछले कुछ सालों में ऐसे कदम उठाए गए हैं, जो खिलौना बनाने वाली कंपनियों के लिए अड़चनें पैदा करने का काम करते हैं।

 

सरकार ने लकड़ी के खिलौने पर GST 5.5 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी और बैटरी या लाइट से चलने वाले खिलौने पर 18 फीसदी GST कर दिया है।

 

हालांकि खिलौना बाजार को लेकर एक राहत भरी खबर यह है कि मुकेश अंबानी ने साल 2019 में ब्रिटेन की खिलौना कंपनी हैमलेज को खरीद लिया है, इस कंपनी 18 देशों में 167 स्टोर हैं।