कोरोना संकट के बीच देश में प्रदूषण और मोबाइल का रेडिएशन कम करने के लिए गाय के गोबर से बना चिप को लॉन्च किया गया है।
पत्रिका पर छपी खबर के अनुसार, राष्ट्रीय कामधेनु आयोग सोमवार को इस चिप को लॉन्च करते हुए कहा कि इस पहल से रेडिएशन बहुत ज्यादा कम हो जाएगा।
#WATCH: Cow dung will protect everyone, it is anti-radiation… It's scientifically proven…This is a radiation chip that can be used in mobile phones to reduce radiation. It'll be safeguard against diseases: Rashtriya Kamdhenu Aayog Chairman Vallabhbhai Kathiria (12.10.2020) pic.twitter.com/bgr9WZPUxK
— ANI (@ANI) October 13, 2020
आयोग के अध्यक्ष वल्लभ भाई कथीरिया ने कहा कि आने समय में अगर बीमारियों से बचना है तो यह काफी काम आ सकता है। चिप के अलावा राष्ट्रीय कामधेनु आयोग ने गोबर से बने कई और प्रोडक्ट को भी लॉन्च किए हैं।
राष्ट्रीय कामधेनु आयोग का कहना है कि देश में प्रूदषण को कम करने में गोबर के प्रोडक्ट काफी मददगार साबित हो सकते हैं। वल्लभ भाई कथीरिया ने कहा कि कुछ दिन बाद दिपावली आने वाला है।
इस दौरान प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ जाता है। लिहाजा, गोबर के प्रोडक्ट को दीपावली में इस्तेमाल करने से प्रदूषण कम होगा। आयोग का ये भी मानना है कि अब तक हम ज्यादातर चाइनीज प्रोडक्ट का इस्तेमाल करते रहे हैं।
देश में इस समय चाइनीज प्रोडक्ट का बहिष्कार भी हो रहा है। लिहाजा, गाय से बने गणेश और लक्ष्मी, दीयों और अन्य सामग्रियों के उपयोग का बढ़ावा देना भी लक्ष्य है।
आयोग ने दीपावली के मौके पर ‘कामधेनु दीपावली अभियान’ चलाने का भी ऐलान किया है।
मीडिया से रू-ब-रू होते हुए वल्लभ भाई कथीरिया ने गोबर से बने चिप, शुभ-लाभ भी लोगों को दिखाए। आयोग के अध्यक्ष का कहना था कि गाय के गोबर से रक्षा भी होगी और घर भी रेडिएशन फ्री हो जाएगा।
इन सबके अलावा, आयोग ने ‘गोमय दीपक’ को लोकप्रिय बनाने के लिए अभियान भी चलाने का फैसला किया है। दीपवाली पर गोबर के दीये, धूप, मोमबत्तियां, स्वास्तिक, समरानी, शुभ-लाभ, हार्डबॉर्ड, भगवान गणेश और लक्ष्मी की प्रतिमाओं का निर्माण शुरू हो चुका है।
आयोग का कहना है कि इस पहल में गोशालाओं की भी अहम भूमिका होगी। क्योंकि, ये सबकुछ उन्हीं पर निर्भर करता है।
रिपोर्ट के अनुसार, आयोग ने 11 करोड़ परिवारों के जरिए तकरीबन 33 करोड़ गोबर से निर्मित दीप को जलाने का लक्ष्य रखा है। अब देखना ये होगा कि राष्ट्रीय कामधेनु आयोग इस पहल में किस हद तक कामयाब होता है।