कोरोना वायरस से इस समय पूरी दुनिया जूझ रही है। अब तक इस वायरस से मुकाबले के लिए कोई प्रभावी इलाज और वैक्सीन तक मुहैया नहीं हो पाई है।
जागरण डॉट कॉम पर छपी खबर के अनुसार, ऐसे में चिंता बढ़ाने वाला एक अध्ययन सामने आया है, जिसका दावा है कि शहरी वायु प्रदूषण के चलते यह वायरस और घातक बन सकता है।
खासतौर से नाइट्रोजन डाइऑक्साइड कोविड-19 को ज्यादा खतरनाक बना सकता है।
इनोवेशन पत्रिका में प्रकाशित शोध के अनुसार, अमेरिका में गत जनवरी से लेकर जुलाई के दौरान पार्टिकल मैटर (पीएम2.5), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और ओजोन समेत कई शहरी वायु प्रदूषकों के विश्लेषण के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला गया है।
अमेरिका की एमोरी यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता डोंगाई लियांग ने कहा, ‘वायु प्रदूषण में कम और लंबे समय तक रहने यानी दोनों का मानव शरीर पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष असर पड़ता है।
इसके चलते ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस, एक्यूट इंफ्लेमेशन और श्वसन तंत्र में संक्रमण का खतरा रहता है।’
शोधकर्ताओं ने वायु प्रदूषण और कोरोना के गंभीर मामलों के बीच जुड़ाव का पता लगाने के लिए इस वायरस से होने वाली मौतों पर गौर किया।
उन्होंने बताया कि प्रदूषकों के विश्लेषण के दौरान नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और कोरोना से किसी व्यक्ति की मौत के बीच गहरा ताल्लुक पाया गया।
हवा में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड की बढ़ोतरी का संबंध कोरोना से मौत के खतरे में 16.2 फीसद तक की वृद्धि से पाया गया है।
लियांग ने कहा, ‘लंबे समय तक शहरी प्रदूषण खासतौर पर नाइट्रोजन डाइऑक्साइड की चपेट में रहने से कोरोना के मामलों में नतीजा घातक हो सकता है।’
बता दें कि भारत में कोविड-19 के मरीजों की संख्या 68 लाख के पार पहुंच गई है। जबकि अभी तक 105526 कोरोना मरीज इस महामारी से जंग हार चुके हैं।
हालांकि, इस बीच अच्छी खबर ये है कि भारत में कोरोना रिकवरी रेट तेजी से बढ़ रहा है। देश में एक्टिव मामलों की संख्या में कमी दर्ज की जा रही है।
अभी तक 58 लाख 27 हजार 704 कोरोना (Covid-19) मरीज ठीक हो चुके हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक भारत में रिकवरी रेट 85.02 फीसद हो गया है।