इस मुस्लिम देश की मदद के लिए सेना भेजेंगे एर्दोगन!

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तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्य्प एर्दोवान ने कहा है कि लीबिया में तुर्क सेना की टुकड़ियां भेजी जा रही हैं। उनका मुकाबला वहां जनरल खलीफा हफ्तार की सेना से होगा जिसे रूस, मिस्र, यूएई और जॉर्डन का समर्थन प्राप्त है।

राष्ट्रपति एर्दोआन ने बताया कि उन्होंने तुर्की की सैन्य टुकड़ियों को लीबिया भेजना शुरू कर दिया है। सेना को वहां भेजने का मकसद फाएज अल-सेराज की अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त सरकार (जीएनए) की मदद करना है। लीबिया की राजधानी त्रिपोली में स्थित जीएनए की सरकार को गवर्नमेंट ऑफ नेशनल एकॉर्ड कहा जाता है।

तुर्की की संसद ने हाल ही में इस बारे में एक विधेयक पास किया थाा। उत्तरी अफ्रीका और भूमध्य क्षेत्र में तुर्की के हितों की रक्षा के लिए सेना की तैनाती को जरूरी माना गया। इसके अलावा लीबिया में शांति और राजनीतिक स्थिरता लाने में मदद करना भी इस सैन्य पहल का लक्ष्य।

अंतरराष्ट्रीय मीडिया नेटवर्क सीएनएन तुर्क को दिए एक इंटरव्यू में एर्दोवान ने बताया, वहां (लीबिया में) एक ऑपरेशन सेंटर होगा, एक तुर्क लेफ्टिनेंट जनरल उसका नेतृत्व करेगा और वे वहां के हालात संभालेगा। (तुर्क सैनिक) धीरे धीरे वहां पहुंचने लगे हैं।

लीबिया की जीएनए ने दिसंबर में तुर्की से मदद मांगी थी। उस वक्त जीएनए जनरल खलीफा हफ्तार की सेनाओं से जूझ रहा था, जिसे रूस, मिस्र, संयुक्त अरब अमीरात और जॉर्डन का समर्थन प्राप्त है।

शनिवार को लीबिया की राजधानी में एक सैन्य अकादमी पर हुए हमले में कम से कम 30 लोगों की मौत हो गई और 33 अन्य घायल हुए।

तुर्की ने इस हमले की निंदा की और वहां युद्धविराम घोषित करवाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कदम उठाए जाने की मांग की। जीएनए के अधिकारी या सेना की तरफ से तुर्की सैनिकों के पहुंचने की अभी तक पुष्टि नहीं हो सकी है।

एर्दोवान के मुताबिक तुर्क सेना के वरिष्ठ अधिकारी लीबिया के लड़ाकों को ट्रेनिंग देंगे और उन्हें जमीनी युद्ध के लिए खास तौर से योग्य बनाएंगे।

साभार- dw