बच्चे को माता-पिता की देखरेख व प्यार पाने का अधिकार है- इलाहाबाद हाई कोर्ट

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि प्रत्येक बच्चे की अभिरक्षा माता या पिता को देते समय यह देखना अनिवार्य है कि उसका सही विकास किसकी अभिरक्षा में होगा।

अमर उजाला पर छपी खबर के अनुसार, यहां सिर्फ आर्थिक स्थिति को देखना ही महत्वपूर्ण नहीं है अपितु बच्चे का बौद्धिक विकास होना अधिक महत्वपूर्ण तत्व है।

कोर्ट ने कहा कि बच्चे को माता-पिता की देखरेख व प्यार पाने का अधिकार है। बच्चे का हित अभिरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।

अदालत ने डेढ़ लाख वार्षिक कृषि आय वाले पिता के बजाय कोई आय न होने के बावजूद परास्नातक शिक्षित मां को बच्चे की अभिरक्षा सौंप दी है।

पिता को माह में दो दिन दूसरे व चौथे रविवार को बच्चे से मिलने देने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति जे जे मुनीर ने मीनाक्षी की याचिका पर दिया है।

कोर्ट ने कहा कि बच्चे के विकास के लिए माता-पिता का दिशानिर्देश जरूरी है। याची मीनाक्षी की शादी 2014 में राम नारायण से हुई और 2016 में बच्चे का जन्म हुआ।

दहेज उत्पीड़न के कारण मीनाक्षी 2018 में बच्चे के साथ मायके आ गई। छह अप्रैल 19 को पति बच्चे को जबरन उठा ले गया तो उसने हाईकोर्ट की शरण ली थी।