सिंघु बॉर्डर पर चल रही किसानों की बैठक से यह जानकारी मिल रही है कि सभी नेताओं ने एक स्वर में सरकार के प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया है।
अमर उजाला पर छपी खबर के अनुसार, कृषि कानून की वापसी और बिजली से जुड़े कानून न लाने की मांग की है। इस संबंध में किसान कुछ देर में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पूरी जानकारी देंगे।
On 14th December, BJP offices will be gheraoed, protest demonstrations will be held in many parts of the country. We are also giving a call to farmers from other parts of the country to reach Delhi: Farmer leaders at Singhu border
— ANI (@ANI) December 9, 2020
किसानों मुद्दा उठाया था कि कृषि अनुबंधों के पंजीकरण की व्यवस्था नए कानून में नहीं है। केंद्र ने प्रस्ताव दिया है कि जब तक राज्य सरकारें रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था नहीं करतींं तब तक एसडीएम को लिखित हस्ताक्षरित करार की प्रतिलिपि 30 दिन के भीतर संबंधित एसडीएम को उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जाएगी।
We reject the government's proposals: Darshan Pal, President of Krantikari Kisan Union at Singhu (Delhi-Haryana border)#FarmLaws pic.twitter.com/FmBgyqAiU2
— ANI (@ANI) December 9, 2020
निजी मंडियों के रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था संशोधन के जरिए रखने का प्रस्ताव दिया गया है। किसानों को आपत्ति थी कि नए कानून से स्थापित मंडियां कमजोर होंगी और किसान निजी मंडियों के चंगुल में फंस जाएंगे।
Key proposals regarding the three farm laws made by the Union government. The farmers' unions leading the protests have just received copies of the proposals. @IndianExpress pic.twitter.com/tcqFx0p7Bq
— Sourav Roy Barman (@Sourav_RB) December 9, 2020
सरकार ने आश्वासन दिया है कि वह राज्य सरकारों को अधिकार देगी ताकि किसानों के हित में फैसला लिया जा सके और व्यापारियों पंजीकरण कराना ही होगा।
किसानों का मुद्दा था कि उसकी भूमि की कुर्की हो सकेगी लेकिन सरकार का कहना है कि किसान की भूमि की कुर्की नहीं की जा सकती।
किसानों डर है कि उनकी भूमि उद्योगपति कब्जा कर लेंगे, जिसका समाधान सरकार ने प्रस्ताव में दिया है।
किसानों की मांग थी कि कृषि कानूनों में किसानों को विवाद के समय कोर्ट जाने का अधिकार नहीं दिया गया है, जो दिया जाना चाहिए। सरकार इस पर राजी हो गई है।
किसान नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि हमने सरकार के सभी प्रस्ताव ठुकरा दिया है।
क्रांतिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष दर्शन पाल ने कहा कि, जो सरकार की तरफ से प्रस्ताव आया है उसे हम पूरी तरह से रद्द करते हैं। इसके अलावा अन्य नेताओं ने भी प्रेस को संबोधित किया जिसकी प्रमुख बातें निम्न हैं।