ब्रिटेन मंगलवार को दुनिया की पहली स्वीकृत कोरोना वैक्सीन लॉन्च करने वाला दुनिया का पहला देश बना था।
भास्कर डॉट कॉम पर छपी खबर के अनुसार, हालांकि, इसके 24 घंटे के अंदर ही कुछ समस्या भी सामने आई है। वहां वैक्सीन की डोज लेने वाले दो स्वास्थ्यकर्मी बीमार पड़ गए हैं।
दोनों स्वास्थ्यकर्मियों के नाम अभी सामने नहीं आए हैं। सूचना है कि दोनों को वैक्सीन से रिएक्शन हुआ है। उनकी हालत स्थिर है।
ये दो मामले सामने आने के बाद ब्रिटेन की हेल्थकेयर प्रोडक्ट रेगुलेटरी एजेंसी (एमएचआरए) ने एडवाइजरी जारी की है कि जिन लोगों को किसी खाने या दवाई से गंभीर एलर्जी है वे इस वैक्सीन की डोज न लें। अन्य लोगों को इससे कोई दिक्कत नहीं है।
अभी यह स्पष्ट नहीं है कि ब्रिटेन में एलर्जी की समस्या के कारण कितने लोगों को फाइजर की वैक्सीन लेने से रोका जाएगा।
एक अनुमान के मुताबिक वहां 70 लाख लोगों को इतनी गंभीर एलर्जी है कि उन्हें इसके लिए स्पेशलिस्ट डॉक्टरों से उपचार करवाना पड़ रहा है।
ब्रिटेन में स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने वाली सरकारी सर्विस एनएचएस ने कहा कि है कि किसी नई वैक्सीन से एलर्जी के कुछ मामलों का सामने आना सामान्य है।
भारत सहित विश्व के अलग-अलग हिस्से में वैक्सीन का वितरण बड़ी चुनौती है। लॉजिस्टिक और कोल्ड-चेन की कमी बड़ी बाधा बन सकती है।
यह कहना है भारत में कोवैक्सीन डेवलप कर रही कंपनी भारत बायोटेक के डीएमडी डॉ कृष्णा एल्ला ने कही।
हैदराबाद स्थित कंपनी के सीएमडी ने कहा कि पहली चुनौती यूनिसेफ तक वैक्सीन को सुरक्षित और वैज्ञानिक तरीके से पहुंचाना है।
हैदराबाद या मुंबई से यूनिसेफ तक कोल्ड चेन में वैक्सीन भेज पाना पहली सफलता होगी। इसके बाद यूनिसेफ से अन्य देशों तक वैक्सीन का वितरण सुनिश्चत करना दूसरी बड़ी चुनौती है।
रूसी अधिकारियों ने अपने नागरिकों को सलाह दी है कि वे स्पुतनिक-5 टीका लेने के बाद दो महीने शराब न पिएं। रूसी उप प्रधानमंत्री तातियाना गोलिकोवा ने एक पोस्ट में लिखा है, ‘टीका लेने के बाद कम से 42 दिनों तक सावधानी बरतनी जरूरी है। तभी यह असरदार होगा।
इसलिए रूस के लोगों को सलाह दी जाती है कि वे दो महीने तक अल्कोहल लेने से बचें। साथ ही वे मास्क पहनना भी पहले की तरह जारी रखें।
यूएई ने बुधवार को बताया कि उसके यहां टेस्ट हो रही चीनी वैक्सीन 86 फीसदी असरदार है। इसका मतलब हुआ कि यह वैक्सीन भी पश्चिमी देशों में विकसित वैक्सीन का मुकाबला करने में सक्षम है।
इस वैक्सीन को चीन की कंपनी साइनोफार्म ने बनाया है। कंपनी का दावा है कि उसकी वैक्सीन मॉडरेट और गंभीर मामलों को रोकने में 100 फीसदी कारगर है। साथ ही कोई गंभीर साइड इफेक्ट भी नहीं है।