स्वदेशी कोविड-19 वैक्सीन को लेकर आईसीएमआर ने दिया बड़ा बयान!

, , ,

   

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने कहा कि ‘कोविड-19 के खिलाफ भारत का स्वदेशी वैक्सीन ‘कोवैक्सीन’ जो आईसीएमआर और भारत बायोटेक के सहयोग से बनाया गया है, ने बड़ी सफलता प्राप्त की है।

अमर उजाला पर छपी खबर के अनुसार, भारत के लोगों से उत्पन्न डाटा के अनुसार कोवैक्सीन प्रभावशाली सुरक्षा और प्रतिरक्षात्मकता प्रोफाइल को रेखांकित करता है और लांसेट ने इसी वजह से इस रिपोर्ट को प्रकाशित किया है।’

बता दें कि एम्स दिल्ली ने एक विज्ञापन निकाला है जिसमें उसने वॉलंटियर्स से खुद को कोरोना वैक्सीन के ट्रायल के लिए रजिस्टर करने के लिए कहा है।

रजिस्टर करने वाले वॉलंटियर्स स्वदेशी कोरोना वैक्सीन ‘कोवैक्सीन’ के तीसरे चरण के ट्रायल में हिस्सा लेंगे। इच्छुक 31 दिसंबर तक खुद को रजिस्टर करा सकते हैं। विज्ञापन में कहा गया है कि वैक्सीन का पहला और दूसरा ट्रायल सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है।

एम्स ने रजिस्टर करने वालों के लिए एक व्हाट्सऐप नंबर और ईमेल आईडी भी जारी की है जहां वे खुद को रजिस्टर करा सकते हैं।

इससे पहले भारत बायोटेक ने बुधवार को कहा कि कोवैक्सीन लंबे वक्त तक एंटीबॉडी बनाने में मदद करती है। छह महीने से एक साल तक के समय के लिए एंटीबॉडी बनाने में वैक्सीन मददगार है।

यह निष्कर्ष कंपनी ने दो ट्रायल पूरे करने के बाद निकाला है।भारत बायोटेक और आईसीएमआर द्वारा बनाई जा रही कोवैक्सीन का तीसरा ट्रायल फिलहाल चल रहा है।

ट्रायल के दूसरे चरण में कुल 380 स्वस्थ बच्चों और वयस्कों को डोज दी गई है। जिसके नतीजों में सफलता मिली है। पहले ट्रायल में दूसरी डोज देने के तीन महीने बाद तक लोगों में एंटीबॉडी पाई गई।

अपनी रिसर्च में इसी को आधार बनाकर कंपनी द्वारा कहा जा रहा है कि कोवैक्सीन लेने के छह से 12 महीने तक एंटीबॉडी रहती हैं।दूसरे ट्रायल में पाया गया है कि सभी आयु वर्ग में एंटी बॉडी विकसित करने में वैक्सीन मददगार है।

साथ ही वैक्सीन स्त्री और पुरुषों में एक समान एंटीबॉडी बनाती है। रिसर्च पेपर में कहा गया है कि वैक्सीन के चलते कोई दूसरा गंभीर प्रभाव वॉलंटियर्स के ऊपर नहीं पड़ा।

लोगों में जो एंटीबॉडी विकसित हुई उसकी तुलना उन लोगों के शरीर में बनी एंटीबॉडी से की जा सकती है जिन्होंने कि कोरोना को मात दी।रिसर्च पेपर में ये भी कहा गया है कि वैक्सीन कितनी असरदार है इसे इसके ट्रायल में भी देखा जा सकता है।

बता दें कि भारत बायोटेक ने फिर से आवेदन किया है कि उसकी वैक्सीन को इमरजेंसी तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है।

हालांकि विशेषज्ञ चाहते हैं कि कंपनी पहले तीसरे ट्रायल से जुड़ा डाटा सामने रखे। अभी तक कंपनी ने पैनल के आगे सिर्फ पहले और दूसरे ट्रायल का डेटा रखा है।